नई दिल्ली :कड़े मुकाबले वाले कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने खास रणनीति अपनाई है. यहां पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा तैनात लगभग 70 एआईसीसी पर्यवेक्षक अतिरिक्त वोट बटोरने के लिए विधानसभा क्षेत्रों में घर-घर जा रहे हैं.
वरिष्ठ नेताओं, विधायकों, सांसदों और पूर्व मंत्रियों सहित एआईसीसी पर्यवेक्षकों ने न केवल अपने चुनाव लड़ने के अनुभव को धरातल पर उतारा है, बल्कि वे पार्टी प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
पार्टी ने 2018 में एक आक्रामक अभियान चलाया था, लेकिन 224 में से केवल 80 सीटें जीत सकी थी. इस कारण उसे जेडी-एस को मुख्यमंत्री पद की पेशकश करने के लिए मजबूर होना पड़ा था. जबकि जेडीएस के पास भाजपा (104) को सत्ता से बाहर रखने के लिए केवल 37 विधायक थे. पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि इस बार पार्टी का लक्ष्य अपने दम पर बहुमत हासिल करना है. इसलिए, विधानसभा क्षेत्रों का सूक्ष्म प्रबंधन किया गया है.
शुरुआत में 66 एआईसीसी पर्यवेक्षकों को नामित किया गया था. उनमें से पांच वरिष्ठ नेता पूर्व पीसीसी प्रमुख एन रघुवीरा रेड्डी, पूर्व-मुंबई इकाई प्रमुख संजय निरुपम, सांसद बेनी बेहानन, कार्ति चिदंबरम और जोथिमनी को अकेले राजधानी बेंगलुरु शहर के लिए तैनात किया गया है, जिसमें लगभग 25 विधानसभा सीटें हैं. शेष 61 पर्यवेक्षकों को अन्य विधानसभा सीटें सौंपी गईं. बाद में, खड़गे ने राज्य में अभियान की निगरानी के लिए पांच क्षेत्रवार पर्यवेक्षकों को तैनात किया था.
इसके पीछे मूल विचार यह है कि पर्यवेक्षकों को मतदाताओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों के बारे में जानकारी होनी चाहिए. उनका काम है कि वे महिलाओं, बेरोजगार युवाओं के लिए भत्ता और बीपीएल परिवारों के लिए मुफ्त राशन जैसी पांच गारंटी के बारे में जानकारी दें.
पिछले कुछ दिनों से संजय निरुपम दक्षिण बेंगलुरु में अनेकल क्षेत्र में विभिन्न हाउसिंग सोसाइटी के निवासियों के साथ बातचीत कर रहे हैं. खासकर आईटी क्षेत्र में काम करने वालों के साथ. बाद में, वह अनेकल निर्वाचन क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में घर-घर जाकर मौजूदा विधायक और उम्मीदवार सिवाना के पक्ष में वोट मांगेंगे.