अहमदाबाद : गुजरात के अहमदाबाद में 2008 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में मौत की सजा पाने वाले तीन दोषियों ने दावा किया है कि एक वादा-माफ गवाह (अप्रूवर) ने ईर्ष्या, द्वेष और उनके धार्मिक संप्रदायों पर मतभेद के कारण उनके खिलाफ गवाही दी थी. मामले का एक आरोपी अयाज सैयद सरकारी गवाह बन गया था और उसका बयान अन्य आरोपियों के खिलाफ अपराध साबित करने में महत्वपूर्ण था.
एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को इस सिलसिले में आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के 38 सदस्यों को मौत की सजा सुनाई थी. इन सिलसिलेवार बम विस्फोटों में 56 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक घायल हो गए थे. अदालत ने मामले में 11 अन्य दोषियों को भी उम्रकैद की सजा सुनाई है. फांसी की सजा पाने वाले एक अपराधी शहाबुद्दीन शेख ने अदालत में कहा कि वह और अयाज सैयद अपराध शाखा के एक ही प्रकोष्ठ और साबरमती जेल के एक ही बैरक में थे.
अदालत के फैसले की प्रति के अनुसार, शेख ने अपने बयान में कहा था कि जेल में ही दोनों एक दूसरे से वाकिफ हुए थे और वहीं पारिवारिक पृष्ठभूमि और शिक्षा के बारे में एक-दूसरे से जानकारी साझा की थी. शेख के अंग्रेजी और अरबी भाषा के अच्छे ज्ञान के बारे में सैयद को पता था. शेख के अनुसार, वह खेलों से लेकर अकादमिक प्रतियोगिताओं में सैयद (अप्रूवर) को हरा देता था, जिसकी वजह से उसके प्रति सैयद को ईर्ष्या हो गयी थी.
शेख ने अंग्रेजी में दिये अपने बयान में कहा था कि वे दोनों इस्लाम के अलग-अलग संप्रदायों के मानने वाले थे. सैयद सुन्नी बरेलवी है, जो फतेहा और दरगाह में विश्वास रखते हैं, जबकि शेख गैर-बरेलवी सुन्नी है, जो इन बातों में विश्वास नहीं करते हैं.