चेन्नई : शो शुरू होने से पहले ही पर्दा गिर गया. सुपरस्टार रजनीकांत ने राजनीति में कदम नहीं रखने का फैसला किया. अधिकांश विश्लेषकों ने उनके फैसले की सराहना की है. द्रविड़ पार्टियों ने भी 'राहत की सांस' ली. लेकिन भाजपा और उनके करीबियों के लिए यह किसी 'तुषारापात' से कम नहीं रहा. रजनी के राजनीति में आने के फैसले से उन्हें बहुत उम्मीद थी.
सारी योजनाओं पर पानी फिरा
अन्नाथी फिल्म की शूटिंग के दौरान जबसे उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, ये कयास लगाए जा रहे थे कि कहीं राजनीति में आने का उनका फैसला लटक न जाए. वे अपने फैसले को टालते रहे. एक वक्त तो उन्होंने घोषणा कर दी थी कि नए साल पूर्व संध्या पर राजनीतिक पार्टी की घोषणा कर देंगे. सूत्र ये भी बताते हैं कि 17 जनवरी को मुदरै में विशाल कॉन्फ्रेंस कराने की योजना भी बन गई थी. 17 जनवरी को ही एआईएडीएमके संस्थापक एमजीआर की जयंती मनाई जाती है. फिल्म जगत से वे पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. लेकिन रजनीकांत ने जैसे ही ना कह दी, सारी योजनाओं पर पानी फिर गया.
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भाजपा पर कोई असर नहीं
इस फैसले से भाजपा निराश नहीं, तो दुखी तो जरूर होगी. भाजपा के राज्य अध्यक्ष एल मुरुगन ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. पूर्व केंद्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णा ने रजनीकांत के निर्णय पर निराशा जताई. उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर यह हतोत्साहित करने वाल फैसला है. लेकिन ये उनका निर्णय है, इसलिए इसे स्वीकार करना ही होगा. भाजपा चाहती है कि राजनीति में निष्ठावान लोग आगे आएं. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि इससे भाजपा पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
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सोशल मीडिया पर कई मीम्स भी बने
डीएमके, नाम तमीलर, कांग्रेस और वाम पार्टियों ने भाजपा को खूब कोसा. इन पार्टियों ने कहा कि भाजपा ने रजनीकांत पर राजनीति में आने का दबाव बनाया था. विश्लेषकों का कहना है कि गृह मंत्री अमित शाह के तमिलनाडु दौरे के 15 दिनों के अंदर ही रजनीकांत ने अपने पोएस गार्डेन स्थित आवास ने पार्टी बनाने की घोषणा कर दी थी. लिहाजा, कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे. सोशल मीडिया पर कई मीम्स भी बनाए जा रहे थे, जहां रजनीकांत को भाजपा के हाथों की कठपुतली की तरह दिखाया जा रहा था.