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आगरा हॉस्पिटल अग्निकांड, हादसा या साजिश...सुनिए चश्मदीद जुबानी

आगरा के आर मधुराज हॉस्पिटल अग्निकांड में हॉस्पिटल संचालक के पिता ने कहा कि यह हादसा नहीं, सोची समझी साजिश थी. इसमें हॉस्पिटल संचालक, उसकी बेटी और बेटे की मौत हो गई. ईटीवी भारत ने इस हादसे के चश्मदीद गोपीचंद से एक्सक्लुसिव बातचीत की.

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आगरा हॉस्पिटल अग्निकांड

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Published : Oct 5, 2022, 12:39 PM IST

आगरा: आगरा के आर मधुराज हॉस्पिटल में बुधवार तड़के हुए दर्दनाक हादसे पर हॉस्पिटल संचालक राजन, उसकी बेटी शालू उर्फ सिमरन और बेटा ऋषि की धुएं में दम घुटने से मौत हो गई. जबकि, चार अन्य की हालत गंभीर बनी हुई है. ईटीवी भारत ने इस हादसे के चश्मदीद और हॉस्पिटल संचालक राजन के पिता गोपीचंद से एक्सक्लुसिव बातचीत की. गोपीचंद का कहना है कि यह हादसा नहीं, सोची समझी साजिश थी. उन्होंने और नर्स स्नेहा ने भी पुलिस को आग लगाने की बात कही है. इसके आधार पर अब पुलिस और प्रशासन ने छानबीन शुरू कर दी है. एफएसएल टीम अब इस बात की पड़ताल कर रही है कि हॉस्पिटल में शॉर्ट सर्किट से आग लगी थी या सोची समझी साजिश के तहत आग लगाई गई थी.

आगरा हॉस्पिटल अग्निकांड के चश्मदीद से ईटीवी भारत की बातचीत.

बता दें कि ताजनगरी के नरीपुरा ( शाहगंज) में जगनेर रोड स्थित आर मधुराज हॉस्पिटल में आग लग गई थी. हॉस्पिटल में बने एक फोम गोदाम में लगी आग से हॉस्पिटल में धुंआ भर गया. इससे हॉस्पिटल में भर्ती मरीज, नर्सिंग स्टॉफ के साथ ही पहली मंजिल पर सो रहे हॉस्पिटल संचालक का परिवार भी फंस गया. दम घुटने से हॉस्पिटल संचालक राजन, उसकी बेटी शालू और बेटा ऋषि की मौत हो गई. जबकि, हॉस्पिटल में भर्ती 5 मरीज और अन्य लोग दूसरे अस्पताल में भर्ती कराए गए हैं. इनमें से चार की हालत गंभीर है.

हॉस्पिटल संचालक राजन के पिता गोपीचंद ने ईटीवी भारत से एक्सक्लुसिव बातचीत में बताया कि सुबह करीब 4:30 बजे मुझे शटर की आवाज सुनाई दी, जिससे वे जाग गए. लेकिन, उन्होंने सोचा कि बेटा राजन शायद टहलने जा रहा होगा. इस वजह से वे कुछ देर तक बिस्तर से नहीं उठे. लेकिन, फिर जब दोबारा आवाज सुनी तो वे रूम से बाहर आए और देखा कि हॉस्पिटल
परिसर में फोम के गोदाम से आग का गुबार और धुआं निकल रहा था. इस पर उन्होंने बेटा राजन और नाती लवी के साथ ही दूसरे परिजनों को जगाया. सभी दौड़ कर आए और आग बुझाने में जुट गए.

गोपीचंद ने बताया कि राजन दूसरे कमरे में सो रही अपनी बेटी शालू और बेटे ऋषि को निकालने के लिए गया. लेकिन, कमरे में धुआं भर गया था और इसमें वो फंस गया. तब तक स्थानीय लोग भी आ गए. आग बुझाने का प्रयास किया. सूचना के करीब 20 से 25 मिनट बाद फायर ब्रिगेड की टीम और पुलिस वाले पहुंची. तब तक राजन को कमरे से बाहर निकाला जा चुका था. वो बेसुध था. उसे तत्काल पास के हॉस्पिटल में भेजा गया. इसके साथ ही शालू और ऋषि को भी पास के हॉस्पिटल में भेजा गया. आर मधुराज हॉस्पिटल में भर्ती मरीज और परिवार के अन्य सदस्य की तबीयत खराब थी. उन्हें भी पास के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया.

गोपीचंद का आरोप है कि हॉस्पिटल परिसर में स्थित जिस दुकान में फोम का गोदाम बना रखा है. उसमें अंडरग्राउंड लाइट फिटिंग है. उसमें बल्ब भी नहीं जलता है. हॉस्पिटल में घुसकर के लगाई गई थी. हॉस्पिटल का मुख्य गेट खुला हुआ है. गोपीचंद ने इस बारे में पुलिस और प्रशासन को भी बताया कि यह हादसा नहीं यह सोची समझी साजिश है. यह पूरे परिवार की हत्या के लिए किया गया था. गोपीचंद का कहना है कि बीते 1 साल से उनकी दुकान और हॉस्पिटल के आसपास टोने और टोटके किए जा रहे हैं. यह रंजिश हो रही है.

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गोपीचंद का कहना है कि राजन को डॉक्टर बनाना चाहता था. क्योंकि, उनके परिवार में 4 लोगों की एक साथ मौत हुई थी. इस पर उन्होंने सोचा था कि बेटा राजन डॉक्टर बन जाएगा तो समय पर और सस्ता इलाज मिल सकेगा. परिचित ने राजन को एक होम्योपैथी चिकित्सक कंपाउंडर बनवा दिया. तभी से राजन हॉस्पिटल और क्लीनिक पर कंपाउंडर की नौकरी कर रहा था. फिर वर्ष 2016 में राजन ने आर मधुराज के नाम से अपने मकान में हॉस्पिटल खोल लिया. जब किसी ने शिकायत की तो दो बार हॉस्पिटल में छापा पड़ा और यहां सील भी लगाई गई. गोपीचंद का कहना है कि राजन डॉक्टर नहीं बन सका. लेकिन, उसने हॉस्पिटल खोल लिया. राजन बेटे लवी को डॉक्टर बनाना चाहता था. हाल में ही लवी ने नीट की परीक्षा पास कर ली है.

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