आगरा :जिला जेल में बंदियों की समस्याओं के समाधान के लिए अनोखी पहल की गई है. जेल में बंदियों की सरकार चलती है. इसमें स्वास्थ्य समेत सात विभाग भी हैं. बंदियों की संसद निर्णय भी लेती है. बंदियों की प्रतिभा को निखारने के लिए जेल प्रशासन ने इस तरह की पहल की है. संसद में उच्च शिक्षित बंदियों को मंत्री पद दिए गए हैं. ये दूसरे बंदियों को शिक्षित करने और उन्हें उनके अधिकारों के बारे में बताते हैं. हर 15 दिन में रिव्यू बैठक भी होती है.
हर 15 दिन में होती है मीटिंग :आगरा जिला जेल अधीक्षक हरिओम शर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कि इस नवीन प्रयोग से बंदियों में लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना, उनमें जिम्मेदारी का भाव जगाने का प्रयास किया जा रहा है. इससे उनकी प्रतिभा भी निखरेगी. हर 15 दिन में रिव्यू मीटिंग होनी प्रस्तावित है. इसमें रोज इनके काम की रिपोर्ट देखकर ग्रेडिंग दी जाएगी. जिसकी ग्रेडिंग ज्यादा होगी उसे पुरस्कृत भी किया जाएगा.
जिला जेल अधीक्षक ने बताया कि, जेल संसद का मुख्य उद्देश्य बंदियों की समस्या का समाधान है. मगर, समाधान का तरीका अलग है. जिला जेल में नए प्रयोग के चलते जेल संसद बनाई गई है. इसमें सात विभाग बनाए हैं. इनमें स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा एवं संस्कृति, कौशल विकास, स्वच्छता, विधि विभाग, योग-शिक्षा विभाग, कृषि विभाग शामिल हैं.
जानिए सभी विभागों के क्या हैं काम :स्वास्थ्य विभाग के तहत प्रत्येक बैरक में स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया है. जिसका चयन उसकी शैक्षिक योग्यता, पिछले एक वर्ष में जेल में उसके आचरण, रुचि देखकर की गई है. इनें वे भी बंदी शामिल हैं जिनकी योग्यता बी फार्मा, डी फार्मा, बीएएमएस, एमबीबीएस या एमडी है. स्वास्थ्य मंत्री का कर्तव्य है कि वह अपनी बैरक में मधुमेह, नेत्र, दंत रोग या कोई गंभीर रोग से पीड़ित बंदियों की सूची तैयार करेंगे. समय-समय पर उन्हें उपचार भी प्राप्त करवाएंगे. अवसाद से ग्रसित बंदियों पर नजर रखेंगे. उनकी काउंसलिंग करेंगे.
शिक्षा एवं सांस्कृतिक विभाग :शिक्षा एवं सांस्कृतिक मंत्री बनाए गए बंदी का काम दूसरे निरक्षर बंदियों को साक्षर करने का है. जो बंदी पढ़ना चाहते हैं, उन्हें शिक्षा दिलाने के साथ ही प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने वाले बंदियों को पुस्तक उपलब्ध कराना भी उनका काम है. इसके साथ ही समय-समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी कराना होता है. जिससे बंदियों का जेल प्रशासन से तालमेल बना रहे.
कौशल विकास विभाग : प्रत्येक बैरक में बंदियों की प्रोफाइल तैयार कराकर उनके कार्यों की सूची बनाना, सीएसआर कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी के माध्यम से शहर के प्रमुख उद्यमियों से उनके कौशल के निखार के लिए प्रयास करना. इसमें ज्यादा से ज्यादा एमबीए के बंदियों को वरीयता दी जाती है.