नई दिल्ली:अग्निपथ स्कीम के माध्यम से सरकार ने युवाओं को नौकरी की सुविधा और सेना में भर्ती होने की घोषणा तो कर दी, मगर पिछले तीन सालों से सेना में भर्ती रुकी हुई है और जो युवा सेना में भर्ती का प्रयास कर रहे थे उनके लिए मात्र चार साल की यह नौकरी, उनके भविष्य को लेकर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है. यही वजह है कि अग्निपथ के विरोध में बिहार से उठा ये बवाल हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और कई राज्यों में फैलता जा रहा है. छात्र सड़क पर हैं और सरकारी संपत्तियां जलाई जा रही हैं. लगभग कुछ ऐसा ही माहौल बनता नजर आ रहा है जैसे कृषि कानूनों के विरोध में देश में किसानों ने माहौल बनाने की शुरुआत की थी. सवाल यह है कि क्या अग्निपथ भी मोदी सरकार के लिए कृषि कानून की तरह ही मुश्किलें पैदा करने वाला है.
पूरा का पूरा विपक्ष अग्निपथ योजना को लेकर लामबंद होकर आरोप लगा रहा है कि यह युवाओं के साथ खिलवाड़ किया गया है. सेना में भर्ती पिछले तीन साल से रोक दी गई थी और ऐसे में वे युवा जो पिछले दो-तीन सालों से सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे थे उनके लिए जब मौका आया तो उस नौकरी को मात्र 3 से 4 साल का किया जाना कहां से न्यायोचित है. सेना की तैयारी कर रहे युवा विक्रमजीत का कहना है कि नौकरी के लिए उनकी उम्र गुजर रही है और सेना में भर्तियां रोक दी गई हैं. केंद्र सरकार की इस योजना में कई त्रुटियां है. सिर्फ चार साल बाद रिटायरमेंट दे दिया जाएगा, आगे हम क्या करेंगे? सोचिए 18 से 22 साल के 75% बच्चे 22-26 साल की उम्र में बेरोजगार हो जाएंगे.
मात्र नौकरी पूरी करने की फिराक में रहेंगे युवा!
जबकि सरकार का तर्क है कि चार साल पूरे होने के बाद 25 फीसदी अग्निवीरों को स्थायी काडर में भर्ती कर लिया जाएगा. लेकिन दसवीं या बारहवीं पास कर अग्निवीर बनने वाले 75 फीसदी युवाओं का क्या होगा, इसका अभी कोई ठोस जवाब नहीं है. यदि देश की सुरक्षा के नजरिए से देखा जाए तो अग्निवीर महज छह महीने में ट्रेंड कैसे हो पाएंगे, ये भी एक बड़ा सवाल है. डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि आर्मी में एक बेहतर जवान को तैयार होने में 7-8 साल लग जाते हैं, ऐसे में अग्निवीर महज छह महीने में ट्रेंड कैसे हो पाएंगे. ये युवा, मात्र 3-4 साल की नौकरी पूरी करने की फिराक में रहेंगे. तीन-चार साल की नौकरी वाला जवान अपनी जान हथेली पर रखकर क्या देश के लिए लड़ेगा, ये बड़ा सवाल है.
वहीं, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस स्कीम का विरोध करते हुए कहा है कि सरकार सेना की गरिमा से समझौता बंद करे. पूर्व सैनिक मेजर (रिटायर्ड) संदीप दयाल का कहना है कि ये मुद्दा देश की सुरक्षा से जुड़ा है, ऐसे में फौजियों के साथ 4-4 साल वाला प्रयोग ठीक नहीं है.
'सरकार को तुरंत छात्रों की समस्याएं सुननी चाहिए'
इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने जब जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी से बात की तो उन्होंने कहा कि यह योजना युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए लाई गई थी, लेकिन युवा इस योजना को लेकर नाराज हैं और बिहार से शुरू हुआ विरोध हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और अन्य कई राज्यों में भी फैलता जा रहा है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि इस पर तुरंत रिव्यू करे और छात्रों को बुलाकर उनकी समस्याएं सुने, यही उनकी पार्टी का स्टैंड है.
जेडीयू नेता केसी त्यागी ने इस सवाल पर कि उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन करने वालों को दंगाई कहकर उनके घर भी तोड़े गए तो क्या यह भी एक तरह का दंगा है. इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि नहीं ये अपने बच्चे हैं ये एंटी-सोशल या एंटी-नेशनल नहीं है. ये वो नौजवान हैं जो सेना में भर्ती होने के लिए पिछले तीन साल से तैयारी कर रहे थे. उनसे वार्ता शुरू की जानी चाहिए, उन्हें बिठाकर समझाया जाना चाहिए. युवाओं को इस बात की चिंता सता रही है कि यह शॉर्ट टर्म की नौकरी के बाद जब वे बेरोजगार होंगे तो उनका क्या होगा, वह बच्चे अपने भविष्य के लिए चिंतित हैं इसी वजह से वे विरोध कर रहे हैं.