नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को थल सेना, नौसेना और वायु सेना के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की. इस बैठक में अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना के लागू होने के विरोध के बाद बनी समग्र स्थिति पर चर्चा की. चर्चा के बाद रक्षा मंत्री ने ट्वीट करते हुए बड़ा एलान किया है.
राजनाथ सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा कि रक्षा मंत्रालय की नौकरी में 10 फीसद आरक्षण दिया जाएगा. इस बैठक में वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और थल सेनाध्यक्ष जनरल बी एस राजू ने भाग लिया. जानकारी के मुताबिक, बैठक में मुख्य रूप से 'अग्निपथ' योजना को जल्द से जल्द लागू करने और आंदोलनकारियों को शांत करने के तरीकों पर चर्चा हुई.
इस बैठक में सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे बैठक में शामिल नहीं हो सके क्योंकि वह आधिकारिक दौरे पर हैदराबाद में हैं. सेना, नौसेना और वायुसेना ने शुक्रवार को नए मॉडल के तहत नामांकन प्रक्रिया अगले सप्ताह तक शुरू करने की घोषणा की. एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने पीटीआई को बताया कि नई योजना के तहत भर्ती के लिए भारतीय वायु सेना द्वारा चयन प्रक्रिया 24 जून से शुरू होगी. जबकि सेना ने कहा कि वह दो दिनों के भीतर प्रारंभिक अभ्यास शुरू कर देगी.
जबकि भारतीय नौसेना ने कहा कि वह 'बहुत जल्द' भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगी. एक वरिष्ठ नौसेना कमांडर ने कहा कि भर्ती के लिए अधिसूचना एक सप्ताह के भीतर निकल जाएगी. वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने कहा कि तीनों सेवाएं नई योजना के तहत अगले साल जून तक परिचालन और गैर-परिचालन दोनों भूमिकाओं में भर्ती के पहले बैच को तैनात करने की योजना बना रही हैं.इससे पहले, रक्षा मंत्री कार्यालय की तरफ से किए गए ट्वीट में बताया गया है कि, जो नौजवान चार वर्ष सेना में सेवा देने के बाद बाहर निकलेंगे उन्हें आजीवन अग्निवीर के रूप में जाना जाएगा. मुझे खुशी है कि इन अग्नि वीरों की सैनिक सेवा समाप्त होने के बाद कई सरकारी विभागों में चयन के लिए उन्हें प्राथमिकता दिए जाने की घोषणा हो चुकी है. यदि वे कोई और काम करना चाहेंगे तो उन्हें सस्ती दर पर कर्ज की भी सुविधा प्रधान की जाएगी.
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रक्षा मंत्री ने आगे कहा है कि, देश की सेनाओं में अग्निवीर केवल नई भर्तियां लाने भर का नाम नहीं है बल्कि उन्हें भी वही क्वालिटी ट्रेनिंग दी जाएगी जो आज सेनाओं के जवानों को मिल रहा है. ट्रेनिंग का समय भले ही छोटा होगा मगर क्वालिटी से कोई समझौता नही होगा. इन आठ सालों में हर भारतीय ने यह महसूस किया है कि इस समय भारत में एक ऐसी सकरार है जो भारतीयों की चिंता केवल अपनी सरहदों के भीतर ही नहीं बल्कि दुनिया के हर कोने में करती है.