बारडोली :गुजरात के सूरत जिले के बारडोली तालुका का आफवा गांव को एक आदर्श गांव के रूप में जाना जाता है. इस गांव में वर्ष 1975 से ही अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम लागू है. इसके अलावा आधुनिक सुविधाओं से लैस इस गांव की सुविधाओं से हर वर्ग के लोग लाभांवित हो रहे हैं. बारडोली शहर से वालोड के रास्ते में आफवा गांव में प्रवेश करते ही ऐसा लगता है जैसे कोई परदेश में आ गया हो. यहां पर 80 फीसदी ग्रामीण एनआरआई हैं. हालांकि मुख्य शहर सूरत से लगभग 40 किमी की दूरी पर स्थित इस गांव में आदिवासी, पाटीदार और महावंशी समुदाय के लोग रहते हैं. महाराष्ट्र और गुजरात के एक होने के समय से आदर्श गांव का नाम अर्जित करने वाले आफवा गांव की परंपरा आज भी जीवित है.
गांव में सुबह करीब 7 बजे ईटीवी भारत की टीम पहुंची. इस दौरान वहां की गलियों में भजन की सुमधुर आवाज सुनाई पड़ रही थी. गांव के पूर्व सरपंच लल्लू भाई पटेल ने बताया कि सुबह और शाम को मधुर भजन के बजने से गांव का माहौल भक्तिमय हो जाता है. साथ ही मधुर संगीत से लोगों का मनोरंजन होने के साथ ही लोगों में अच्छे संस्कार भी आते हैं. इतना ही नहीं गांव में इंटरनेट की सुविधा होने के साथ ही पूरे गांव में बिजली, केबल टीवी या इंटरनेट के तार नहीं लटक रहे हैं. गांव में सारे तार अंडरग्राउंड हैं.
आफवा गांव में सबसे अधिका आबादी हलपति समुदाय की है. इसके अलावा पाटीदार समाज और महावंशी समाज के लोग भी रहते हैं. इनमें पाटीदार समुदाय वर्षों से विदेशों में बसा हुआ है. वहीं गांव के 80 फीसदी लोग विदेशों में रहते हैं. पूर्व सरपंच का कहना है कि हर साल नवंबर और दिसंबर के महीने में एनआरआई गांव में आते हैं. इसके बाद गांव में किए जाने वाले कार्यों पर चर्चा की जाती है. बैठक में गांव की जरूरतों के मुताबिक पूरे वर्ष के विकास कार्यों का फैसला किया जाता है.