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Ideal Village Afwa: सूरत के आफवा गांव में 80 फीसदी हैं NRI, 1975 से लागू अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम, जानिए खासियत - आदर्श ग्राम आफवा

गुजरात के सूरत जिले का आफवा गांव के 80 फीसदी लोगों के एनआरआई होने की वजह से जाना जाता है. लेकिन गांव में 1975 से ही अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम लागू होने के साथ ही सभी केबल अंडर ग्राउंड हैं. इतना ही नहीं गांव में मनोरंजन के साथ ही हरियाली का पूरा ध्यान रखा गया है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

Ideal Village Afwa
आदर्श गांव आफवा

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Published : Apr 9, 2023, 6:20 PM IST

Updated : Apr 9, 2023, 6:37 PM IST

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बारडोली :गुजरात के सूरत जिले के बारडोली तालुका का आफवा गांव को एक आदर्श गांव के रूप में जाना जाता है. इस गांव में वर्ष 1975 से ही अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम लागू है. इसके अलावा आधुनिक सुविधाओं से लैस इस गांव की सुविधाओं से हर वर्ग के लोग लाभांवित हो रहे हैं. बारडोली शहर से वालोड के रास्ते में आफवा गांव में प्रवेश करते ही ऐसा लगता है जैसे कोई परदेश में आ गया हो. यहां पर 80 फीसदी ग्रामीण एनआरआई हैं. हालांकि मुख्य शहर सूरत से लगभग 40 किमी की दूरी पर स्थित इस गांव में आदिवासी, पाटीदार और महावंशी समुदाय के लोग रहते हैं. महाराष्ट्र और गुजरात के एक होने के समय से आदर्श गांव का नाम अर्जित करने वाले आफवा गांव की परंपरा आज भी जीवित है.

गांव में सुबह करीब 7 बजे ईटीवी भारत की टीम पहुंची. इस दौरान वहां की गलियों में भजन की सुमधुर आवाज सुनाई पड़ रही थी. गांव के पूर्व सरपंच लल्लू भाई पटेल ने बताया कि सुबह और शाम को मधुर भजन के बजने से गांव का माहौल भक्तिमय हो जाता है. साथ ही मधुर संगीत से लोगों का मनोरंजन होने के साथ ही लोगों में अच्छे संस्कार भी आते हैं. इतना ही नहीं गांव में इंटरनेट की सुविधा होने के साथ ही पूरे गांव में बिजली, केबल टीवी या इंटरनेट के तार नहीं लटक रहे हैं. गांव में सारे तार अंडरग्राउंड हैं.

गांव में भजन को कुछ तरह से सुनाया जाता है

आफवा गांव में सबसे अधिका आबादी हलपति समुदाय की है. इसके अलावा पाटीदार समाज और महावंशी समाज के लोग भी रहते हैं. इनमें पाटीदार समुदाय वर्षों से विदेशों में बसा हुआ है. वहीं गांव के 80 फीसदी लोग विदेशों में रहते हैं. पूर्व सरपंच का कहना है कि हर साल नवंबर और दिसंबर के महीने में एनआरआई गांव में आते हैं. इसके बाद गांव में किए जाने वाले कार्यों पर चर्चा की जाती है. बैठक में गांव की जरूरतों के मुताबिक पूरे वर्ष के विकास कार्यों का फैसला किया जाता है.

इतना ही नहीं आफवा गांव में बनी रिंग रोड गांव के आधुनिक विकास का प्रतीक है. इस बारे में पूर्व सरपंच लल्लू भाई का कहना है कि गांव के लोगों ने ही गांव के चारों तरफ रिंग रोड बना रखी है ताकि भारी वाहन गांव से आसानी से निकल सके. चूंकि भारी वाहन गांव में प्रवेश नहीं करते हैं, इसलिए गांव की सड़कें भी अच्छी रहती हैं और गांव में प्रदूषण नहीं होता है.

कुछ तरह दिखता है आफवा गांव

गांव में कृषि का भी काफी विकास हुआ है. यहां के रहने वाले लोग कृषि में सक्रिय हैं. गांव में किसानों के लिए अलग-अलग संघ बनाए गए हैं. इन सोसायटियों के सहयोग से किसानों को कृषि से अच्छी आमदनी हो रही है. इस बारे में पियत मंडल के संस्थापक अध्यक्ष कमलेशभाई पटेल ने कहा कि गांव में फिलहाल तीन सहकारी समितियां काम कर रही हैं. विदेशों में बसे परिवारों ने भी अपनी खेती यहां रहने वाले परिवारों को सौंप दी है. उन्होंने कहा कि कृषि को व्यवस्थित रूप से सुनिश्चित करने के लिए सहकारी आधार पर गांव में एक सिंचाई समिति भी स्थापित की गई है. इसके अलावा गांव में एक राइस मिल और एक दुग्ध समिति भी सहकारी आधार पर चल रही है.

आदर्श गांव आपवा में चारों ओर हरियाली है, हरियाली बनाए रखने के लिए ग्रामीणों के सहयोग से पेड़ लगाए गए हैं. गांव के विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की अवधारणा भी रखी गई है. यही वजह है कि गांव में प्रवेश करते ही सड़क के दोनों ओर पेड़ों की कतारें नजर आती हैं.

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Last Updated : Apr 9, 2023, 6:37 PM IST

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