जयपुर : निकाय चुनाव के बाद अब सबकी निगाहें चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर है, लेकिन इस 'जंग' में कांग्रेस की तुलना में भाजपा आगे दिख रही है. वहीं, कांग्रेस की बात की जाए, तो उपचुनाव क्षेत्रों में अबतक सत्तारूढ़ दल की तरफ से ना कोई बड़ी बैठक हुई है और ना ही बड़े नेताओं के कोई बड़े चुनावी दौरे.
दरअसल, चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव की अब तक तारीख तय नहीं की गई, लेकिन उससे पहले भाजपा ने धरातल पर इसकी तैयारी शुरू कर दी है. वहीं, सत्तारूढ़ कांग्रेस इसमें थोड़ी पीछे नजर आ रही है. उपचुनाव का परिणाम आने वाले विधानसभा के चुनाव के परिणामों को दर्शाने का काम करेगा.
ऐसे में भाजपा चाहती है कि हर हाल में उपचुनाव में जीत दर्ज की जाए. यही कारण है कि जिताऊ प्रत्याशी के चयन के लिए स्थानीय इकाई और रायशुमारी के अलावा निजी एजेंसी के माध्यम से भी सर्वे करवाया जा रहा है.
यहां आपको बता दें कि चार में से एक सीट पर भाजपा का कब्जा था, जबकि तीन सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा था. अब जब उपचुनाव होंगे, तो भाजपा की कोशिश रहेगी कि चारों सीटों पर भाजपा का कमल खिले. उसके अलावा कुछ और सीटें भी भाजपा के पास आएं. उपचुनाव परिणाम को पार्टी के प्रदेश से जुड़े बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा से भी जोड़कर देखा जा रहा है. खास तौर पर उपचुनाव उनकी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया कहते हैं कि वे इस परीक्षा के लिए भी तैयार हैं.
चुनाव की तारीखों का फिलहाल ऐलान होना बाकी है, लेकिन उससे पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया तीन विधानसभा सीटों पर अपने दौरे कर चुके हैं. इसी क्रम में अब आने वाले दिनों में उपचुनाव को जीतने के लिए भाजपा अलग-अलग गुटों में ना दिखे, इसके भी प्रयास होना जरूरी है. पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की मानें तो आगामी दिनों में तमाम प्रमुख नेताओं के इन उपचुनाव क्षेत्रों में दौरे होते दिखेंगे तो पार्टी एक मुखी होकर ना केवल चुनाव लड़ेगी, बल्कि जीतेगी भी.
कांग्रेस और भाजपा के इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर