नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि बुनियादी ढांचा परियोजनाएं सरकार के लिए प्राथमिकता हैं. उन्होंने सोमवार को बिजली और कोयला मंत्रालय के पूंजीगत व्यय की प्रगति की समीक्षा की और उनसे परियोजनाओं का क्रियान्वयन तेजी से करने को कहा. इस दौरान परमाणु ऊर्जा विभाग भी समीक्षा बैठक का हिस्सा रहा.
दूसरी कोविड लहर के बाद यह इस तरह की दूसरी बैठक है. इस साल जून में, सीतारमण ने इस साल फरवरी में बजट पेश होने के बाद पूंजीगत व्यय समीक्षा बैठकों के पहले दौर में सरकार के पूंजीगत व्यय कार्यक्रम की समीक्षा की थी.
बैठक में सीतारमण ने वित्त वर्ष के पहले छह महीनों (अप्रैल-सितंबर 2021) में ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित विभागों और मंत्रालयों के पूंजीगत व्यय की समीक्षा की. उन्होंने एनटीपीसी, एनएचपीसी और कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) जैसे ऊर्जा क्षेत्र में सक्रिय केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के पूंजीगत व्यय की भी समीक्षा की.
वित्त मंत्री ने महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) परियोजनाओं पर किए गए पूंजीगत व्यय की भी समीक्षा की, जिसका उद्देश्य देश के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करना है.
उन्होंने संपत्ति मुद्रीकरण, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से शुरू की गई परियोजनाओं और राष्ट्रीय मास्टर प्लान (गति शक्ति) के साथ अभिसरण द्वारा उठाए जाने वाले धन की भी समीक्षा की, जिसकी घोषणा पिछले महीने प्रधान मंत्री मोदी ने की थी.
वित्त मंत्री ने कहा कि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर खर्च की जमीनी स्तर पर निगरानी की जानी चाहिए. 'मंत्रालयों को निरंतर आधार पर सभी राज्यों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए प्रयास करने चाहिए, जिससे परियोजनाओं का क्रियान्वयन तेजी से हो सके.'
उन्होंने आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) के अधिकारियों से मंत्रालयों, विभागों के साथ सहयोग करने को कहा ताकि सिविल कार्य के जरिये परियोजनाओं का क्रियान्वयन ठेकेदार जैसी एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी से प्रभावित नहीं हो. इसके अलावा उन्होंने अधिकारियों को यह सुनिश्चत करने का निर्देश दिया कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों से आवश्यक उपकरणों की खरीद में कोई विलंब नहीं हो.
सीतारमण ने अधिकारियों से कहा कि बुनियादी ढांचा परियोजनाएं सरकार की प्राथमिकता हैं और उनका ऑन-ट्रैक प्रदर्शन अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है.