नई दिल्ली : नौ साल पहले नौकरशाह से राजनेता बने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने इस साल विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर अपनी स्थिति मजबूत की है. पहली बार पार्टी ने कई राज्यों में एक साथ अपनी किस्मत आजमाई. विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने भारत के सीमावर्ती राज्य पंजाब की 117 में से 92 सीटों पर जबरदस्त जीत हासिल की. पार्टी का वोट प्रतिशत 42 रहा.
इंडिया अगेंस्ट करप्शन (IAC) आंदोलन का नेतृत्व करने वाले अन्ना हजारे से अलग होकर केजरीवाल ने 2013 में राजनीतिक संगठन बनाया. आम आदमियों की पार्टी कही जाने वाली 'आप' नौ साल में तेजी से बढ़ रही है. पंजाब में पार्टी ने 92 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया है. पंजाब की राजनीति में लगभग सभी स्थापित खिलाड़ी जिनमें मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व कैप्टन अमरिंदर सिंह भी चुनाव हार गए. वास्तव में, केजरीवाल की भविष्यवाणी कि मौजूदा चरणजीत सिंह चन्नी दोनों सीटों- चमकौर साहिब और भदौर से चुनाव हार जाएंगे, भी सही निकली.
मौजूदा मुख्यमंत्री को हराने के अलावा, आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार ने क्रिकेटर से राजनेता बने और कांग्रेस पार्टी की पंजाब इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू को अमृतसर पूर्व सीट से हराया. यही नहीं पांच बार के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी अपनी लंबी सीट नहीं बचा पाए. दो बार के मुख्यमंत्री और पूर्व कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला अर्बन सीट से चुनाव हार गए. शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को भी जलालाबाद सीट गंवानी पड़ी.
यह राज्य में किसी बड़े परिवर्तन से कम नहीं है. इस राज्य ने शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेतृत्व में धर्म आधारित राजनीति देखी है. जबकि राज्य ने 1970 और 1980 के दशक में सिख चरमपंथी समूहों और जरनैल सिंह भिंडरावाले जैसे नेताओं के अलग देश खालिस्तान बनाने के हिंसक अलगाववादी आंदोलन भी देखा है. आम आदमी पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पंजाब की राजनीति में प्रवेश किया. उस चुनाव में लगभग 24% वोट हासिल कर पार्टी ने चौंकाया था. 20 सीटें जीतकर शिरोमणि अकाली दल को पीछे छोड़ते हुए आप प्रमुख विपक्षी दल बन गया था.