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कश्मीर के बाद अब अलकायदा के निशाने पर असम - कश्मीर के बाद अब असम अलकायदा के निशाने पर

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रविवार को भारतीय उपमहाद्वीप (एक्यूआईएस) में अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी), अल कायदा द्वारा साजिश के से संबंधित एक आतंकी मामले के सिलसिले में असम के बारपेटा और बोंगाईगांव जिलों में 11 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया. गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

एनआईए
राष्ट्रीय जांच एजेंसी

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Published : Apr 11, 2022, 11:03 PM IST

नई दिल्ली : कश्मीर के बाद अलकायदा का अगला निशाना असम है. भारत की खुफिया एजेंसियों ने एक संकलित खुफिया रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत उप-महाद्वीप (AQIS) में अल कायदा भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए बांग्लादेश के इस्लामिक आतंकी संगठन-जमात उल मुजाहिदीन के साथ समझौता कर चुका है. एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने सोमवार को नई दिल्ली में 'ईटीवी भारत' को बताया, 'इस सामरिक समझ के पीछे रणनीति यह है कि संगठन पूर्वी भारत में विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए असम को अपने आधार बिंदु के रूप में उपयोग करना चाहता है.' जिस बात ने चिंता को और बढ़ा दिया है, वह यह है कि पूर्वोत्तर के कुछ इलाकों में आतंकी संगठन के स्लीपर सेल के साथ सहानुभूति रखने वालों ने असम और यहां तक ​​कि त्रिपुरा के चुनिंदा इलाकों में बड़े पैमाने पर भर्ती अभियान शुरू कर दिया है. अधिकारी ने कहा, 'बांग्लादेश सीमा से उनकी निकटता के कारण, असम और त्रिपुरा दोनों ही इस्लामी आतंकवादी संगठनों के लिए आसान लक्ष्य बन गए हैं.'

पहले कुछ मौकों पर असम में सुरक्षा एजेंसियों ने जमात उल मुजाहिदीन के कार्यकर्ता और अन्य आतंकवादी समूहों के अन्य सदस्यों को पकड़ा है. अधिकारी ने कहा, 'असम में बारपेटा, धुबरी, गोलपारा (Barpeta, Dhubri, Goalpara) आदि जैसे कुछ इलाके हैं जहां आतंकवादी संगठनों को भोले-भाले युवाओं को लुभाना आसान लगता है.' यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि पिछले साल सितंबर में असम के दरांग जिले में हुए एक निष्कासन अभियान ने अल्पसंख्यक संगठनों के साथ बड़े पैमाने पर विवाद खड़ा कर दिया था, जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाली असम सरकार पर 'चुनिंदा समुदाय' को निशाना बनाने का आरोप लगाया गया था. इसी तरह, दिसंबर के महीने में त्रिपुरा में कथित तौर पर दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा 'मस्जिदों' की तोड़फोड़ ने भी एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया. अधिकारी ने कहा, ये वही उदाहरण हैं जिनका इस्तेमाल भारत विरोधी कार्यकर्ताओं द्वारा देश में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए किया जाता है.

यह उल्लेखनीय है कि अंसारुल्ला बांग्ला टीम (एबीटी) नामक एक अन्य इस्लामी आतंकवादी संगठन, जिसे आमतौर पर बांग्लादेश में स्थित अंसार बांग्ला के नाम से जाना जाता है ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए असम के बारपेटा जिले को एक आसान लक्ष्य के रूप में पाया है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रविवार को एबीटी प्रमुख सैफुल इस्लाम का पता लगाने के लिए बारपेटा और बोंगाईगांव सहित विभिन्न जिलों में तलाशी अभियान चलाया.

एनआईए के एक अधिकारी ने कहा, 'सैफुल अवैध रूप से भारत में दाखिल हुआ था और ढकलियापारा मस्जिद में एक अरबी शिक्षक के रूप में काम कर रहा था. वह सक्रिय रूप से युवाओं को जेहादी संगठनों में शामिल होने और विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए प्रेरित कर रहा था.' एनआईए के एक अधिकारी ने कहा, 'सैफुल अवैध रूप से भारत में दाखिल हुआ था और ढकलियापारा मस्जिद में एक अरबी शिक्षक के रूप में काम कर रहा था. वह सक्रिय रूप से युवाओं को जेहादी संगठनों में शामिल होने और विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए प्रेरित कर रहा था. खुफिया अधिकारी ने कहा, 'चाहे वह जमात उल मुजाहिदीन हो या अंसारुल्लाह बांग्ला टीम, अल कायदा भारतीय उपमहाद्वीप में सभी इस्लामी आतंकी संगठनों को एकजुट करने के लिए एकजुट होने की कोशिश कर रहा है.

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