नई दिल्ली : ऐसे समय में जब कांग्रेस देश में कठिन समय का सामना कर रही है, सबसे पुरानी पार्टी ने अपना ध्यान 'हिंदुत्व' (Hindutva) और 'राष्ट्रवाद' (Nationalism) जैसे मुद्दों पर केंद्रित करना शुरू कर दिया है. पंजाब और उत्तर प्रदेश समेत 5 महत्वपूर्ण राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों पर पार्टी की पूरी तरह से नजर है.
बुधवार को कांग्रेस ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने भी हिस्सा लिया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे लेकिन उन्होंने भाषण नहीं दिया, हालांकि राहुल गांधी को गुरुवार को उत्तराखंड में एक जनसभा को संबोधित करना है.
सोनिया गांधी ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना की ऐतिहासिक विजय भारत की राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य अभियान के मिलुजुले प्रयास का परिणाम था.
उन्होंने भारतीय सेना और उस वक्त सैन्य नेतृत्व की भी सराहना की और इस युद्ध में दिखाए गए उनके शौर्य को सलाम किया. सोनिया गांधी ने कहा कि 1971 पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का 'सर्वश्रेष्ठ वर्ष' था. आज, हम शानदार उपलब्धि का जश्न मनाते हैं, लेकिन मुझे लगता है, इंदिरा गांधी चाहती थीं कि हम ऐसा घमंडी भावना से या आत्म-महिमा की भावना से नहीं, बल्कि प्रतिबिंब और संकल्प की भावना से करें. इसलिए हम उस गौरवशाली अवसर का जश्न मनाएं, जो उन मूल्यों के प्रति हमारी दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं जिन्हें उन्होंने पोषित किया, जिन आदर्शों का उन्होंने समर्थन किया और जिन कारणों के लिए उन्होंने संघर्ष किया और आखिरकार उनके लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया.'
सोनिया गांधी ने कहा, 'आज हम इंदिरा गांधी को बहुत ही गर्व के साथ याद करते हैं. वह अपने साहस और संयम के कारण आज भी करोड़ों भारतीय नागिरकों के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं...उन्होंने पूरे विश्व समुदाय को बांग्लादेश के लोगों के मकसद के बारे में संवेदशील बनाया.'
उनके मुताबिक, 50 साल पहले बांग्लादेश के बहादुर लोगों ने अपने आप को एक नया भविष्य दिया. भारत उनके साथ खड़ा रहा और यहां एक करोड़ शरणार्थियों ने शरण ली. बांग्लादेश के स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जाना चाहिए. सोनिया गांधी ने बांग्लादेश के साथ भारत के गर्मजोशी भरे रिश्तों को भी याद किया.
एंटनी ने भी साधा निशाना
भाजपा के राष्ट्रवाद के मुद्दे का सूक्ष्मता से मुकाबला करने के प्रयास में सोनिया गांधी ने पिछले साल एक समिति का गठन किया था, जिसकी अध्यक्षता पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने की थी.