लखनऊ : लोकसभा में केंद्र सरकार ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं की संख्या आधी करने का प्रस्ताव रखा है. शीतकालीन सत्र में इस प्रस्ताव पर मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू किया जा सकता है. ऐसे में अगले साल होने वाली न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को सभी सेक्शन को नए सिरे से याद करना होगा. इसके अलावा कई वर्गों का आपस में समायोजन होने से न्यायिक सेवा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. कानून में प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. ज्यूडिशियरी की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को पुराने कानून के साथ ही नए संशोधन पर भी पूरा फोकस करना होगा, क्योंकि उन्हें दोनों ही कानून के बारे में अच्छी जानकारी होना बहुत जरूरी है.
विशेषज्ञ नितिन राकेश ने बताया कि 'विशेष तौर पर जो अभ्यर्थी सिविल जज जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. उन्हें इस नए कानून को लेकर काफी कन्फ्यूजन की स्थिति है. उन्हें लग रहा है कि नया दंड संहिता आने के बाद सब कुछ बदल जाएगा. उन्होंने बताया कि परीक्षा में पैटर्न का बदलाव तो नया कानून आने के बाद ही होगा. लेकिन अभ्यर्थियों को नए और पुराने दोनों कानून के बारे में जानकारी होना आवश्यक है. प्रतियोगी परीक्षा में इन दोनों से ही सवाल पूछे जा सकते हैं. इसके अलावा एक बार सलेक्शन होने के बाद जब वह न्यायिक सेवा में आएंगे तब उन्हें वर्षों पुराने मुकदमों को सुनना पड़ेगा. ऐसे में दोनों कानून का ज्ञान होने पर ही वह मुकदमे की सुनवाई कर सकेंगे. उन्होंने बताया कि ऐसे में पुराने कानून को पूरी तरह से नहीं हटाया जाएगा, प्रतियोगी परीक्षा करने वाले छात्रों को उन्हें जानना ही पड़ेगा.'