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एक सदी बाद असम ने गैंडों के संरक्षण के लिए दिया कड़ा संदेश, जानें क्या है मामला

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Published : Sep 22, 2021, 8:20 PM IST

Updated : Sep 22, 2021, 9:25 PM IST

लेडी कर्जन द्वारा असम में एक सींग वाले अद्वितीय गैंडों के संरक्षण के लिए पहला कदम उठाने के लगभग 116 साल बाद राज्य में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार ने 2479 जब्त किए गए गैंडों के सींगों को जलाकर लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए साहसिक कदम उठाया. यह इस मिथक को दूर करने के लिए किया गया कि गैंडे के सींगों का औषधीय महत्व होता है. असम स्टेट हेड अनूप शर्मा की विशेष रिपोर्ट.

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हैदराबाद : असम में एक सींग वाले गैंड़ों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने बड़ा संदेश दिया है. 1970 के दशक से जब्त किए गए गैंडे के सींगों को जलाकर सरकार ने जागरूकता का मजबूत संदेश भेजा कि मृत गैंडों के सींगों का कोई मूल्य नहीं है. साथ ही यह उम्मीद की गई है कि यह शिकारियों को सींगों के लिए जानवर को मारने से रोकने की प्रेरणा देगा.

इससे पहले 1905 में लेडी कर्जन ने काजीरंगा के पास एक चाय बागान की यात्रा के दौरान एक सींग वाले गैंडों को देखा था. जिसका उस समय ब्रिटिश साहबों द्वारा बहुतायत से शिकार किया जाता था. पशु प्रेमी व भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन की पत्नी लेडी कर्जन ने अपने शक्तिशाली पति को न केवल इस विलक्षण जानवर को मारने पर प्रतिबंध लगाने के लिए जून 1905 में क्षेत्र को आरक्षित वन घोषित करने के लिए राजी किया था.

बाद के वर्षों में एक सींग वाले गैंडे न केवल असम के राज्य पशु बन गए बल्कि राज्य के लिए गर्व का प्रतीक भी बन गए. राज्य के स्वामित्व वाले कई निगम अपने प्रतीक के रूप में चार्जिंग राइनो के चित्र का उपयोग कर रहे हैं. हालांकि स्वतंत्रता के बाद से राज्य और केंद्र की बाद की सरकारों ने वन्यजीवों की रक्षा के लिए अलग-अलग अधिनियम बनाए लेकिन यह एक सींग वाले गैंडों के अवैध शिकार को रोकने में विफल रहे.

असम में जलाए गए गैंडों के सींग

कुछ मिथक भी था कि इसका सींग कैंसर जैसी बीमारियों को ठीक कर सकता है. दक्षिण एशियाई देशों में कुछ पारंपरिक दवाओं में इसके कथित उपयोग के लिए गैंडों के सींग की हमेशा बड़ी मांग रही. जहां इसका उपयोग कामोद्दीपक के रूप में भी किया जाता है. भारत में एक सींग वाले गैंडे के बेरोकटोक अवैध शिकार के कारण जिसे 1975 में लुप्तप्राय घोषित किया गया था. 2008 में प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ (IUCN) की लाल सूची में कमजोर के रूप में वर्गीकृत किया गया था.

आंकड़ों के अनुसार 1983 में असम में गैंडों के आवास में 92 एक सींग वाले गैंडों का शिकार किया गया. इसके बाद 1992 और 1993 में असम में क्रमशः 67 और 68 गैंडों का शिकार किया गया था. हालांकि बाद के वर्षों में गैंडों का अवैध शिकार कम हुआ लेकिन 2000 के दौरान यह बढ़ गया और जल्द ही गैंडों का अवैध शिकार असम में प्रमुख राजनीतिक मुद्दों में से एक बन गया.

असम में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय तरुण गोगोई के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 2001 के बाद से गैंडों के अवैध शिकार को लेकर बड़ी आलोचना की थी. वर्ष 2014 में असम में संरक्षित क्षेत्रों से 38 गैंडों का शिकार किया गया. अकेले काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में यह आंकड़ा 35 तक पहुंच गया. 2012 और 2013 में असम में क्रमशः 26 और 28 गैंडों का अवैध शिकार दर्ज किया गया था.

असम में जलाए गए गैंडों के सींग

एक सींग वाले गैंडों का संरक्षण भी भाजपा के प्रमुख चुनावी वादों में से एक रहा जो 2016 में सत्ता में आया. मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व में पहली बार असम में सरकार बनाने वाली भगवा पार्टी ने अवैध शिकार को रोकने के लिए कठोर दृष्टिकोण, न केवल शिकारियों को प्रजातियों को मारने से रोकने के लिए कानून बनाना, बल्कि शिकारियों का मुकाबला करने के लिए वन सुरक्षा बल को परिष्कृत हथियारों से लैस भी किया.

सत्ता में आने के तुरंत बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) के कार्यालय को गुवाहाटी से काजीरंगा स्थानांतरित कर दिया और विभाग के अधिकारियों से अवैध शिकार को रोकने के लिए कहा गया. 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने अवैध शिकार के खतरे को रोकने के लिए विशेष राइनो प्रोटेक्शन फोर्स (SRPF) नाम के कुलीन बल में 90 युवाओं को नियुक्त किया था.

सरकार ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के सीमांत क्षेत्रों से आने वाले स्थानीय युवाओं का उपयोग करते हुए विशेष बल का गठन किया और उन्हें काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, ओरंग राष्ट्रीय उद्यान और मानस राष्ट्रीय उद्यान-राज्य के तीन मुख्य गैंडों के निवास स्थान का काम सौंपा गया. उसी वर्ष भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने अवैध शिकार को रोकने के लिए वनकर्मियों के बीच 272 इंसास राइफल, 954 एसएलआर, 133 नंबर 12 बोर पंप एक्शन गन, 20 पीस 9 मिमी पिस्तौल और 91 घातक राइफलें वितरित कीं थीं.

राज्य के 2016-17 के बजट में राज्य के बाघ अभयारण्यों और गैंडों वाले संरक्षित क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए हथियारों और उपकरणों का आधुनिकीकरण योजना के तहत वन विभाग के लिए आधुनिक हथियारों की खरीद के लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान भी रखा गया था. सरकार ने उसी वर्ष शिकारियों और वन्यजीव अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्यवाही के लिए 10 वन्यजीव फास्ट ट्रैक कोर्ट भी स्थापित किए थे.

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चूंकि 2479 जब्त सींगों को बुधवार को आग की लपटों में डाल दिया गया तो असम को उम्मीद है कि यह कदम न केवल गैंडों के अवैध शिकार को रोकने में बल्कि अंतरराष्ट्रीय काला बाजार में गैंडे के सींगों की मांग को कम करने के लिए एक बड़ा कदम साबित होगा.

Last Updated : Sep 22, 2021, 9:25 PM IST

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