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केरल में 40% नए मरीज डबल डोज़ ले चुके हैं, एमपी में हुई मौत, क्या बूस्टर डोज़ देने का वक्त आ गया ?

केरल में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, नए मामलों में से 40 फीसदी मामले ऐसे हैं जो वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं. उधर मध्य प्रदेश में दोनों डोज़ लेने वाले एक शख्स कोरोना संक्रमित हुआ और उसने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या बूस्टर डोज़ देने का वक्त आ गया है ? क्योंकि आंकड़े डरा रहे हैं, इससे जुड़ी हर जानकारी के लिए पढ़िये स्पेशल रिपोर्ट

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Published : Nov 17, 2021, 4:56 PM IST

हैदराबाद: देशभर में इन दिनों रोजाना औसतन 10 से 12 हजार कोरोना के नए मरीज सामने आ रहे हैं. दूसरी लहर झेल चुके देश में तीसरी लहर की चर्चा के बीच नए मरीजों का ये आंकड़ा भले बड़ा ना लग रहा हो लेकिन आंकड़ों की मानें तो कोरोना की दोनों डोज़ लेने के बाद भी संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, जो खतरे की घंटी बजा रहे हैं. ऐसे में सवाल है कि क्या भारत में बूस्टर डोज़ देने का वक्त आ गया है ? क्योंकि...

एमपी में दोनों डोज़ लेने वाले शख्स की हुई मौत

मध्यप्रदेश के इंदौर में कोरोना संक्रमण से जूझ रहे 69 साल के व्यक्ति ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. खास बात ये है कि मरीज ने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज़ ले रखी थी. कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद 9 नवंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां 14 नवंबर की रात मरीज ने दम तोड़ दिया. बताया जा रहा है कि मरीज मधुमेह की पुरानी बीमारी से जूझ रहा था.

केरल में नए मरीजों में से 40% डबल डोज़ लेने वाले हैं

केरल में डबल डोज़ के बाद भी संक्रमित हो रहे लोग

केरल में कोरोना के रोजाना औसतन 6 हजार से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं. जिनमें एक बड़ी संख्या कोरोना वैक्सीन ले चुके लोगों की है. खतरे की घंटी ये आंकड़ा बजा रहा है कि कोरोना के 40 फीसदी नए मरीज ऐसे हैं जो वैक्सीन की दोनों डोज़ ले चुके हैं. जबकि 15 फीसदी मरीज ऐसे हैं जो वैक्सीन की पहली डोज ले चुके हैं. बीते 10 दिनों के आंकड़ों पर नजर डालें तो रोजाना 30 से 40 फीसदी मामले ऐसे सामने आ रहे हैं जो दोनों डोज़ ले चुके हैं. वैसे ये ट्रेंड केरल में बीते कई दिनों से दिख रहा है.

नए मरीजों में 50% सिर्फ केरल से

देश में रोजाना भले 10 से 12 हजार नए मामले सामने आ रहे हों लेकिन कोरोना के नए मामलों को देखते हुए केरल खतरे की घंटी बजा रहा है. क्योंकि देशभर में सामने आ रहे कुल मामलों में से 50 फीसदी से अधिक मामले अकेले केरल से सामने आ रहे हैं. बीते 10 दिन के आंकड़ों पर नजर डालें तो करीब 56 फीसदी मामले अकेले केरल से मिले हैं.

रोजाना आधे से ज्यादा मरीज केरल से

केरल में ब्रेकथ्रू इंफेक्शन ने बढ़ाई चिंता

ब्रेकथ्रू इंफेक्शन यानि ऐसे मामले जो कोविड-19 टीके की दोनों खुराक लेने के बाद भी कोरोना संक्रमण का शिकार हो रहे हैं. केरल में बीते कई दिनों से ऐसे मरीजों की अच्छी खासी तादाद सामने आ रही है, जिसका बढ़ने का खतरा है. सबसे ज्यादा खतरा इस बात का है कि ये ब्रेकथ्रू इंफेक्शन दूसरे राज्यों में भी देखने को मिला तो क्या होगा ?

तो क्या बूस्टर डोज़ देने का वक्त आ गया है ?

किसी विषाणु (Virus) या रोगाणु (Germ) के खिलाफ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए टीके की अतिरिक्त खुराक, बूस्टर डोज़ कहलाती है. कोविड-19 के मामले में तीसरी डोज़ को बूस्टर डोज़ कहा जा रहा है. जिस तरह से मध्य प्रदेश में कोविड टीकाकरण के बाद भी मरीज पहले संक्रमित हुआ और फिर उसकी मौत हो गई और केरल में डबल डोज़ लेने के बावजूद संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं उसे देखते हुए बूस्टर डोज़ पर फिर से चर्चा शुरु हो गई है.

क्या बूस्टर डोज़ देने का वक्त आ गया है ?

क्यों जरूरी होती है बूस्टर डोज़ ?

दरअसल विशेषज्ञ पहले ही कह चुके हैं कि वैक्सीन भले ही इस वायरस के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार हो लेकिन वैक्सीन की डोज़ से मिलने वाला सुरक्षा कवच तय समय के लिए मिलता है. वैक्सीन की दोनों डोज़ लेने के बाद शरीर में एंटीबॉडी अच्छी खासी मात्रा में बनती है, दोनों डोज़ लेने से लंबे वक्त तक रक्षा तो मिलती है लेकिन ये समय अनिश्चितकाल नहीं हो सकता इसलिये बूस्टर डोज़ की जरूरत पड़ती है. अलग-अलग वैक्सीन की क्षमताओं के आधार पर विशेषज्ञ दोनों डोज़ लेने के 6 महीने से लेकर 9 महीने के बाद बूस्टर डोज़ की वकालत करते रहे हैं.

एक वक्त के बाद शरीर में एंटी बॉडी कम होने के अलावा, दिल से लेकर किडनी जैसी बीमारियों से पीड़ित मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना और लगातार सामने आते कोरोना के नए वैरिएंट्स को देखते हुए भी विशेषज्ञ बूस्टर डोज़ की सलाह देते हैं.

ये भी पढ़ें: क्या कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक के बाद भी बूस्टर डोज़ की जरूरत है ?

कितने देशों में मिल रही है बूस्टर डोज़

अमेरिका, कनाडा, इजरायल, ब्रिटेन, चीन, जापान, फ्रांस, जर्मनी समेत दुनियाभर के 36 देशों में इस वक्त कोविड-19 की बूस्टर डोज़ दी जा रही है. अमेरिका ने तो अपने देश में बनी तीनों वैक्सीन की बूस्टर डोज़ और मिक्स एंड मैच वैक्सीन को भी मंजूरी दे दी है.

कई देशों में दी जा रही है बूस्टर डोज़

भारत और बूस्टर डोज़

भारत में भी आने वाले कुछ दिनों में बूस्टर डोज़ को लेकर बड़ा ऐलान हो सकता है. कोविड टास्क फोर्स के सदस्य एनके अरोड़ा ने बीते हफ्ते कहा ता कि अगले 10 दिन में बूस्टर डोज़ को लेकर गाइडलाइन आ सकती है. जिसमें तय होगा कि बूस्टर डोज़ कब से, किसे और कैसे मिलेगी ?

बूस्टर डोज़ को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट ?

देशभर में इस वक्त कोरोना के नए मामले और मौत के मामले भले कम हों लेकिन दोनों डोज़ लेने के बाद भी संक्रमण के मामलों को देखते हुए कई विशेषज्ञ इसे बूस्टर डोज़ देने का सही वक्त बता रहे हैं. दरअसल अमेरिका से लेकर कनाडा और यूरोपीय देशों तक जहां भी बूस्टर डोज़ दी जा रही है ज्यादातर देशों में दोनों डोज़ के बाद संक्रमण के मामले सामने आने पर ही फैसला लिया. विशेषज्ञों के मुताबिक टीके का रक्षा कवच एक सीमित समय के लिए है और उस सुरक्षा कवच यानि एंटीबॉडी खत्म होने से पहले अगर बूस्टर डोज़ लग जाए तो बेहतर होगा.

केरल में डबल डोज लेने के बाद भी बढ़ रहा संक्रमण

सरकार के लिए दोहरी चुनौती होगी

अगर भारत में बूस्टर डोज़ की अनुमति आने वाले दिनों में मिल जाती है तो सरकार के लिए वैक्सीनेशन के मोर्चे पर चुनौती दोहरी होगी. दरअसल भारत ने भले वैक्सीन की एक अरब डोज़ देने का रिकॉर्ड बनाया हो लेकिन अभी भी सिर्फ 38 करोड़ की आबादी को ही वैक्सीन की दोनों डोज़ लग पाई है, जबकि लगभग 76 करोड़ लोगों को पहली डोज़ दी जा चुकी है. सरकार बूस्टर डोज़ देने से पहले ज्यादा से ज्यादा लोगों का टीकाकरण करना चाहती है लेकिन इतनी बड़ी आबादी का टीकाकरण और साथ में बूस्टर डोज़ देने की चुनौती बहुत बड़ी हो सकती है. इसके अलावा भारत में अभी तक बच्चों का टीकाकरण भी शुरू नहीं हुआ है.

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