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'बचपन का प्यार' का चढ़ा खुमार, नक्सल क्षेत्र कोयलीबेड़ा में गूंज रही संगीत की 'स्वरलहरियां'

कभी नक्सली गतिविधियों को लेकर चर्चा में रहने वाला छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग अब गीत-संगीत के क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहा है. अब यहां के ग्रामीण क्षेत्र की बच्चियां भी गीत-संगीत का प्रशिक्षण ले रही हैं.

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Published : Sep 7, 2021, 3:29 PM IST

कांकेर :अपनी आवाज और अंदाज से सोशल मीडिया के साथ-साथ सेलीब्रिटीज को भी खुद का फैन बना लेने वाला 'बचपन का प्यार' (childhood love) फेम सहदेव दिरदो (sahdev dirdo) को आज कौन नहीं जानता.

अगर महज दो माह पहले की करें तो सहदेव को कोई नहीं जानता था. अपने करीब के बच्चे को संगीत के रास्ते बेहतर मुकाम पाते देख अब बस्तर के अंदरूनी क्षेत्र की छात्राएं भी संगीत का प्रशिक्षण (music training) लेकर सुर-ताल में संगीत से अपना नाम रोशन करने की राह पर हैं. ये बच्चे भी संगीत के क्षेत्र में नाम कमाना चाहते हैं. और इसी का नतीजा है कि नक्सल प्रभावित कोयलीबेड़ा में आज संगीत के सुर-ताल गूंज रहे हैं.

नक्सलगढ़ में गूंज रहा सारेगामापा

संगीत शिक्षा मिलने से छात्राएं उत्साहित

कन्या पूर्व माध्यमिक पाठशाला की कक्षा 6 से 8वीं तक की 60 बच्चियां यहां संगीत का प्रशिक्षण ले रही हैं. संगीत की शिक्षा ले रही छात्रा भूमिका तारम ने बताया कि उसे गीत-संगीत में काफी रुचि है. जब उसे पता चला कि उसके स्कूल कन्या माध्यमिक शाला में गीत-संगीत की शिक्षा मिलेगी तो वह काफी उत्साहित हुई. इन कक्षाओं से बहुत जानकारी प्राप्त की. उसे यह पढ़ाई बहुत ज्यादा अच्छी लगी.

स्कूलों में गीत-संगीत की नियमित कक्षाएं

वहीं छात्रा आराधना दर्रो का कहना है कि स्कूलों में गीत-संगीत की नियमित कक्षाएं लगनी चाहिए. जब उसके शिक्षक जयंत शांडिल्य ने कक्षा में बताया कि गीत-संगीत में रुचि रखने वाली छात्राओं को 15 दिनों का प्रशिक्षण दिया जाएगा तो वह बहुत उत्साहित हुई और इस विशेष क्लास में गीत-संगीत के बारे में पढ़ा व जानकारियां अर्जित कीं.

छात्राएं बोलीं-मिली नई प्रेरणा

छात्रा अवंतिका, मनीषा पटेल और कमली समेत अन्य छात्राओं का कहना था कि उन्हें तो पता भी नहीं था कि गीत-संगीत में भी पढ़ाई होती है और डिग्री ली जा सकती है. लेकिन इस विशेष कक्षा के माध्यम से उन्हें एक नई प्रेरणा मिली है. वे भी आगे गीत-संगीत की पढ़ाई करना चाहेंगी.

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संगीत की शिक्षा देना ही उद्देश्य

संगीत की शिक्षा देने आई लोक गायिका रानू निषाद, मालती उसेण्डी और डोमेन्द्र मटियारा ने बताया कि उनका लक्ष्य ही है कि लोगों को सुर लय ताल के माध्यम से संगीत की प्रारंभिक शिक्षा से अवगत कराएं. साथ ही जो उन्होंने शिक्षा प्राप्त की है, उसका अन्य लोगों को लाभ दें. बच्चों के नवचेतन में गीत-संगीत रूपी बीज लगाकर एक नई पीढ़ी तैयार करना ही उनका उद्देश्य है.

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