नई दिल्ली : रविवार की सुबह मोगा जिले के रोडे गांव में भगोड़े अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया आ गई है. अमृतपाल के चाचा सुखचैन सिंह ने कहा कि इस (गिरफ्तारी) ने उस दुविधा को खत्म कर दिया है जिससे परिवार गुजर रहा था. अब हम कानूनी लड़ाई लड़ सकते हैं. अमृतपाल के फरारी के 36 दिनों के दौरान उनका परिवार लगातार यह कहता रहा कि भगोड़े आरोपी ने उनसे कोई संपर्क नहीं किया है.
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पंजाब सशस्त्र पुलिस से इंस्पेक्टर के रूप में सेवानिवृत्त हुए सुखचैन सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि चाहे अमृतपाल ने आत्मसमर्पण किया हो या उसे पुलिस ने गिरफ्तार किया हो. यह उनके परिवार के लिए मायने नहीं रखता. उन्होंने कहा कि अहम बात यह है कि हमारे मन में जो दुविधा थी वह खत्म हो गई है. उसे उसके बाकी सहयोगियों और समर्थकों की तरह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत डिब्रूगढ़ जेल भेजा जाएगा. उन्होंने कहा कि अब हम कानूनी लड़ाई शुरू कर सकते हैं.
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सुखचैन ने कहा कि अमृतपाल की गिरफ्तारी के बारे में उन्हें रविवार सुबह टेलीविजन से पता चला. बता दें कि अमृतपाल के एक और चाचा हरजीत सिंह पहले से ही डिब्रूगढ़ जेल में हैं. 18 मार्च से शुरू हुई पुलिस कार्रवाई के बाद उनके खिलाफ एनएसए के तहत कार्यवाही हुई थी. हरजीत सिंह अमृतपाल के नौ करीबी सहयोगियों में से एक हैं. पंजाब के विशेष पुलिस महानिदेशक (आंतरिक सुरक्षा) आर एन ढोके ने कहा कि अमृतपाल एनएसए का विषय है और उसे डिब्रूगढ़ ले जाया जा रहा है. उसे गिरफ्तार करने के बाद पुलिस अमृतपाल को असम ले जाने के लिए बठिंडा ले गई.
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