बक्सर :आजादी के 73 साल बाद क्या आधुनिक भारत की तस्वीर बदल पाई है ? बक्सर के चौगाई प्रखंड स्थित नाचाप पंचायत के पुरैना गांव को देखकर तो ऐसा नहीं लगता है. क्योंकि आजादी के 7 दशक बाद भी भारत के इस गांव को पक्की सड़क तक नसीब नहीं हो सकी है.
लिहाजा गांव वालों को कई परेशानियों से हर रोज दो चार होना पड़ता है. हैरानी की बात है कि चुनाव के दौरान सड़क बनाने का दावा करने वाले नेता जी चुनाव जीतने के बाद इस गांव में जाना भी पसंद नहीं करते हैं. गांव में परेशानी इस कदर है कि यहां शादी करके आनेवाली बहुएं अपने आप को कोसती रहती हैं.
दूल्हे कंधे पर करते हैं सवारी
पिछले दिनों इसी गांव से एक वीडियो वायरल हुआ. जिसके कारण यह गांव और ज्यादा सुर्खियों में आ गया है. वीडियो में दिख रहा है कि गांव में सड़क की सुविधा नहीं होने के कारण दूल्हे को कंधे पर उठाकर लोग शादी के मंडप में ले जा रहे हैं. आज भी इस गांव के लोगों के लिए स्कूल, अस्पताल, सड़क, बिजली, यातायात की सुविधा सपने के जैसा ही है. जहां बीमार पड़े लोगों की इलाज के अभाव में घर में ही मौत हो जाती है.
आत्मनिर्भर भारत की बदरंग तस्वीर
दरअसल, यह तस्वीर उस आत्मनिर्भर भारत की है, जहां की 71 फीसदी आबादी गांव में ही बसती है. यह तस्वीर उस बिहार की है, जहां के मुखिया बिहार के किसी भी कोने से 5 घंटे में पटना पहुंचने का दावा करते हैं. लेकिन उनका दावा जमीन पर कितना है. इस तस्वीर को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं. आजादी के 73 साल बाद भी इस गांव की तस्वीर में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. आज भी यहां के लोग मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहे हैं.
पक्की सड़क बन गया सपना
एक स्थानीय निवासी ने कहा कि पक्की सड़क तो आज भी एक सपने जैसा लगता है. इस सपने को पूरा करने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कई ख्वाब दिखाए. लेकिन आज तक इस मसले पर न तो किसी ने गंभीरता दिखाई और न ही किसी ने इस दिशा में कोई पहल की. नेता चुनाव के समय हाथ जोड़कर वोट मांगने आ जाते हैं. परिणामों की घोषणा होते ही वे लौट कर नहीं आते. आलम यह है कि आज भी ग्रामीण अपनी तकदीर को कोस रहे हैं. लोग अपनी मजबूरियों के बीच समय व्यतीत कर रहे हैं.