मुजफ्फरनगर: चर्चित रामपुर तिराहा कांड की रेप पीड़िता ने मंगलवार को कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट पहुंचकर बयान दर्ज कराया. घटना के लगभग 29 साल बाद पहली बार पीड़िता ने कोर्ट में पेश होकर अभियोजन के आरोपों का समर्थन करते हुए बयान दर्ज कराया. कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने कड़ी सुरक्षा में पीड़िता को उत्तराखंड के श्रीनगर से लाकर पेश किया. इस दौरान कोर्ट परिसर में भारी पुलिस फोर्स तैनाती रही.
बता दें कि साल 1994 में पृथक उत्तराखंड गठित करने की मांग को लेकर पहाड़ों में आंदोलन चरम पर था. इस मांग को लेकर उत्तराखंड वासियों ने देहरादून से होते हुए दिल्ली के लिए कूच किया था. दिल्ली के लिए बसों और गाड़ियों में सवार होकर उस समय निकले सैकड़ों उत्तराखंडवासी महिला और पुरुषों को मुजफ्फरनगर में छपार थाना क्षेत्र के रामपुर तिराहा पर रोक लिया गया था.
दो अक्टूबर 1994 को आंदोलन उग्र होने पर रामपुर तिराहा पर बहुत बड़ा हंगामा हो गया था. इस मामले में आरोप था कि, पुलिस ने दिल्ली जाने के लिए निकले उत्तराखंडवासियों पर रामपुर तिराहा क्षेत्र में गोली चला दी थी. जिसमें सात लोगों की जान भी चली गई थी. इसमें काफी लोग घायल भी हो गए थे. महिलाओं से रेप के भी आरोप लगाए गए थे.
उत्तराखंड आंदोलन समिति की गुहार पर हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई से कराई थी. इस कांड में 24 से अधिक पुलिसवालों पर रेप, डकैती, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ जैसे मामले दर्ज हुए. साथ ही सीबीआई के पास सैकड़ों शिकायतें दर्ज हुईं. इसमें सीबीआई ने मामले की जांच कर तत्कालीन एसपी सरदार आरपी सिंह और डीएम अनंत कुमार सिंह सहित कई अन्य पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. इसके बाद साल 2003 में फायरिंग के मामले में तत्कालीन डीएम को भी नामजद किया गया.