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हैदराबाद और मैसूर के शाही परिवार एक सदी के बाद फिर से जुड़े

हैदराबाद निजाम VII के पोते नवाब मीर नजफ अली खान (Nawab Mir Najaf Ali Khan) ने मैसूर पैलेस में यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार (Yaduveer Krishnadatta Chamaraja Wadiyar) से मुलाकात की. यह मुलाकात दो शाही परिवार 100 साल और तीन पीढ़ियों के अलगाव के बाद हुई है.

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Published : Feb 19, 2022, 3:00 AM IST

Hyderabad Nizam's grandson, Mysore Wadiyar meet after 100 years
हैदराबाद निजाम के पोते मैसूर में वाडियार से 100 साल बाद मिले

मैसूर (कर्नाटक): नवाब सर मीर उस्मान अली खान (Mir Osman Ali Khan Nizam) निजाम VII के पोते नवाब मीर नजफ अली खान (Nawab Mir Najaf Ali Khan) ने मैसूर पैलेस में यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार (Yaduveer Krishnadatta Chamaraja Wadiyar) से मुलाकात की. दो शाही परिवार 100 साल और तीन पीढ़ियों के अलगाव के बाद एक दूसरे के साथ फिर से जुड़ गए हैं.

दोनों ने पूर्व शासकों के वंशजों के लिए एक अनौपचारिक समूह बनाने में भी गहरी दिलचस्पी दिखाई. इस दौरान वाडियार ने अन्य महाराजाओं के हितों को अंग्रेजों से बचाने और 1965 में भारत-चीन युद्ध के दौरान आसिफ जाहियों की भूमिका पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि मीर उस्मान अली खान ने देश का समर्थन करने के लिए 5,000 किलोग्राम सोने का योगदान दिया था.

उन्होंने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि निज़ाम मैसूर पैलेस के एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्से के निर्माण का समर्थन किया था. यदुवीर वाडियार ने नवाब मीर नजफ अली खान को नवाब सर मीर उस्मान अली खान निजाम की 100 साल पुरानी तस्वीर दिखाकर सुखद आश्चर्यचकित किया, जिसे चांदी के फ्रेम में संरक्षित किया गया था.

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