वायनाड (केरल) : केरल के वायनाड जिले में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू को फैलने से रोकने के लिए सूअरों को मारने का काम रविवार से शुरू हो गया है.मनंतवडी जहां दो फार्म से बीमारी की सूचना मिली थी वहां की डिप्टी कलेक्टर आर श्रीलक्ष्मी ने कहा कि किसान और अन्य लोगों को भोपाल में राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान से प्राप्त परीक्षण रिपोर्ट दिखाकर प्रक्रिया में सहयोग करने के लिए आश्वस्त किया गया.
डिप्टी कलेक्टर ने कहा कि प्रभावित किसानों के पास 360 सूअर हैं. उन्हें सूचित किया गया था कि अन्य क्षेत्रों या खेतों में बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल के अनुसार उपाय किए जा रहे हैं और प्रक्रिया में सहयोग करने के लिए सहमत हैं. उन्होंने यह भी कहा कि प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे की प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी. अधिकारी ने कहा कि वायनाड जिले के मनंतवाडी इलाके में जिन दो फार्म में बीमारी पाई गई उनमें से एक में सभी जानवर मर गए, जबकि दूसरे फार्म में रविवार को क्यूलिंग प्रक्रिया का काम शुरू हुआ और एक सप्ताह के भीतर पूरा कर लिया जाएगा.
इससे पहले दिन में 360 सूअरों वाले फार्म के मालिक ने एक टीवी चैनल को बताया कि उन्हें विश्वास नहीं है कि उनके खेत में जानवर संक्रमित थे क्योंकि जिस सूअर का परीक्षण सकारात्मक था वह बीमार नहीं लग रहा था. उन्होंने कहा था कि वह चाहते हैं कि सरकार कुछ दिनों तक इंतजार करे और फिर यह तय करे कि सूअरों को मारना है या नहीं. वायनाड जिले में किसान संघ के एक प्रतिनिधि ने भी एक टीवी चैनल को बताया था कि चूंकि सकारात्मक परीक्षण किए गए सूअर अभी भी स्वस्थ हैं इसलिए अधिकारियों को शायद कुछ और दिनों तक इंतजार करना चाहिए और फिर आगे बढ़ना चाहिए.
पशुपालन विभाग ने कहा कि इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. राज्य ने इस महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार के आगाह करने के बाद जैव सुरक्षा उपायों को कड़ा कर दिया था. केंद्र सरकार ने बताया था कि बिहार और कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में 'अफ्रीकी स्वाइन बुखार' के मामले सामने आए हैं. 'अफ्रीकी स्वाइन फ्लू' बेहद संक्रामक और घातक बीमारी है. इस बीमारी का सबसे पहला ब्योरा वर्ष 1921 में केन्या में मिला था, लेकिन इसके थोड़े ही दिन बाद यह बीमारी दक्षिण अफ्रीका और अंगोला में पाई गई, जिससे कई सूअर की मौत हो गई.
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