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African swine fever confirmed: केरल में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर

केरल में निपाह के बाद अफ्रीकन स्वाइन फीवर का मामला सामने आया है. भोपाल के वायरोलॉजी लैब में इसकी पुष्टि की गई है.

After Nipah African swine fever was confirmed in Kozhikode health department was on alert
केरल में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 4, 2023, 12:42 PM IST

कोझिकोड: केरल में जानवरों के लिए खतरनाक बीमार अफ्रीकन स्वाइन फीवर का मामला सामने आया है. कोझिकोड जिले में एक जंगली सूअर मृत पाए जाने के बाद इसकी जांच की गई. भोपाल के वायरोलॉजी लैब की ओर से जांच के बाद अफ्रीकन स्वाइन फीवर वायरस होने की पुष्टि की गई. इससे अब केरल में पशु पालकों में भय व्याप्त हो गया है.

कोझिकोड जिले के मारुथोंकारा में एक जंगली सूअर मृत पाया गया. इसी इलाके में हाल में निपाह की पुष्टि हुई थी. अब यहां अफ्रीकी स्वाइन फीवर का संक्रमण पाया गया. कोझिकोड जिले में पहली बार अफ्रीकी स्वाइन बुखार की सूचना मिली. यह वायरस सीधे तौर पर इंसानों में बीमारी पैदा नहीं करता है. इस वायरस की पुष्टि के बाद इसके एक किलोमीटर के दायरे में सूअरों को मार दिया जाता है.

वर्तमान में पुष्टि किए गए क्षेत्र में कोई सुअर फार्म नहीं हैं. केरल स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि आस-पास के खेत मालिकों को जागरूकता को लेकर उन्हें जानकारी दी जाएंगी. छह अक्टूबर को जिला पशु चिकित्सालय सभागार में जिले के सभी सुअर फार्म मालिकों को बुलाकर विस्तृत रूप से जानकारी दी जाएगी. अफ्रीकन स्वाइन बुखार असफरविरिडे (Asfarviridae) परिवार से संबंधित एक वायरस के कारण होता है. यदि घरेलू सूअर इस वायरस से संक्रमित होते हैं, तो समूहों में मरना और दूसरों को मारना आम बात है. 1907 में पहली यह बीमारी केन्या में पाई गई थी. ब्रिटिश उपनिवेशों में पालतू सूअरों में अफ्रीकी जंगली सूअर से संक्रमण पाए गए.

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यह बीमारी पांच दशकों तक अफ्रीकी महाद्वीप तक ही सीमित थी. इसके बाद 1957 में यूरोप में फैल गई. 1957 में यह बीमारी पहली बार पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में अफ्रीका से आयातित सूअर के मांस के माध्यम से रिपोर्ट की गई थी. फिर यह बीमारी स्पेन, फ्रांस, इटली और माल्टा तक फैल गई. फिर अफ्रीकन स्वाइन फीवर अमेरिका में आया. 1978 में यूरोपीय देश माल्टा में जब यह बीमारी फैली तो इस बीमारी को खत्म करने के लिए पूरे देश के सूअरों को मार दिया गया. 1960 और 1990 के दशक के दौरान, अफ्रीकी स्वाइन बुखार ने अमेरिका और यूरोप में सूअर उद्योग को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया.

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