नई दिल्ली/ गाजियाबाद:अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने के बाद से हालात दिन ब दिन खराब होते जा रहे हैं. सभी देश अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने में जुटे हुए हैं. इस बीच काबुल से बचाकर भारत लाए गए अफगान सांसद नरिंदर सिंह खालसा हिंडन एयरबेस पर रो पड़े. भावुक नरिंदर ने कहा कि 'मुझे रोने का मन करता है ... पिछले 20 वर्षों में जो कुछ भी बनाया गया था वह अब समाप्त हो गया है.'
नरिंदर ने कहा कि एयरपोर्ट के सारे गेट पर पांच से छह हजार लोग खड़े हैं. उधर हालात बहुत खराब हैं. पता नहीं कौन अच्छा बंदा है कौन खराब बंदा है. जब उनसे पूछा गया कि आप तो वहां के एमपी हो तो वह रो पड़े. नरिंदर सिंह ने कहा कि उधर सबकुछ खत्म हो गया है. उनका कहना है कि 200 सिख-हिंदू भाई अभी वहां फंसे हुए हैं. उधर भरोसा नहीं है कुछ.
अफगान सांसद बयां किया दर्द काबुल पर एक सप्ताह पहले तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की राजधानी में खराब होती सुरक्षा स्थिति के बीच भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के एक सैन्य परिवहन विमान ने काबुल से 107 भारतीयों समेत 168 लोगों को रविवार को वहां से निकाला.
इस बीच, अमेरिका और नाटो के विमान के जरिए पिछले कुछ दिन में काबुल से दोहा ले जाए गए 135 लोगों का एक समूह भी भारत पहुंचा. रविवार को भारत पहुंचे लोगों ने राहत की सांस ली है. कई लोग वतन पहुंचकर भावुक हो गए.
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दरअसल, काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आसपास रविवार को मची अफरा-तफरी के बीच भीड़ में सात अफगान नागरिक मारे गए. रविवार को, ब्रिटिश सेना ने काबुल में भीड़ में सात नागरिकों की मौत को स्वीकार किया. भगदड़ मचने और कुचलने से लोगों को चोटें आई हैं. माना जा रहा है कि घटना उस समय हुई जब तालिबान लड़ाके देश से बाहर किसी भी उड़ान पर जाने के लिए बेताब लोगों को खदेड़ने के लिए हवा में गोलियां चला रहे थे.
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बता दें कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. इसके बाद से वहां अफरा-तफरी का माहौल है. अफगानिस्तान-तालिबान संकट (Afghan Taliban Crisis) के बीच एक अहम घटनाक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 17 अगस्त को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक की.
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प्रधानमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर हुई इस अहम बैठक के बाद अधिकारियों को यह निर्देश दिए. इसी बीच सूत्रों ने कहा है कि भारत इंतजार करेगा और देखेगा कि सरकार का गठन कितना समावेशी होगा और तालिबान कैसे आचरण करेगा. सूत्रों के मुताबिक तालिबान ने कश्मीर पर भी अपना रुख स्पष्ट किया है. इसके मुताबिक तालिबान कश्मीर को एक द्विपक्षीय, आंतरिक मुद्दा मानता है. पीएम ने कहा कि हिंदुओं और सिखों को देंगे शरण.
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इसके बाद काबुल में भारतीय राजदूत एवं दूतावास के कर्मियों समेत 120 लोगों को लेकर भारतीय वायुसेना का एक विमान मंगलवार को अफगानिस्तान से भारत पहुंचा था. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत सभी भारतीयों की अफगानिस्तान से सकुशल वापसी को लेकर प्रतिबद्ध है और काबुल हवाईअड्डे से वाणिज्यिक उड़ानों की बहाली होते ही वहां फंसे अन्य भारतीयों को स्वदेश लाने का प्रबंध किया जाएगा.
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काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने लचीला रुख अपनाते हुए पूरे अफगानिस्तान में 'आम माफी' की घोषणा की और महिलाओं से उसकी सरकार में शामिल होने का आह्वान किया. इसके साथ ही तालिबान ने लोगों की आशंका दूर करने की कोशिश है, जो एक दिन पहले उसके शासन से बचने के लिए काबुल छोड़कर भागने की कोशिश करते दिखे थे और जिसकी वजह से हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी का माहौल पैदा होने के बाद कई लोग मारे गए थे.
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गौरतलब है कि भारत ने 2001 के बाद से अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण में करीब 3 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है. संसद भवन, सलमा बांध और जरांज-देलाराम हाईवे प्रोजेक्ट में भारी निवेश किया है. इनके अलावा भारत-ईरान के चाबहार बंदरगाह के विकास का काम कर रहा है. भारत को ईरान के रणनीतिक चाबहार के शाहिद बेहेश्टी क्षेत्र में पांच बर्थ के साथ दो टर्मिनल का निर्माण करना था, जो एक पारगमन गलियारे का हिस्सा होता. यह भारतीय व्यापार की पहुंच को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और रूस तक पहुंच प्रदान करता. इस परियोजना में दो टर्मिनल, 600-मीटर कार्गो टर्मिनल और 640-मीटर कंटेनर टर्मिनल शामिल थे. इसके अलावा 628 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का निर्माण होना था, जो चाबहार को अफगानिस्तान सीमावर्ती शहर जाहेदान से जोड़ती. जानकारों का मानना है कि भारत ने चीन के चाबहार के जवाब में ग्वादर प्रोजेक्ट में निवेश किया था. अब तालिबान के राज में इसके पूरा होने पर संशय है.