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अफगानिस्तान संकट : संसद परिसर में बैठक, सरकार देगी जानकारी - S Jaishankar afghanistan

केंद्र सरकार विभिन्न राजनीतिक दलों के संसदीय नेताओं को युद्धग्रस्त अफगानिस्तान के घटनाक्रम से अवगत कराएगी. इस संबंध में प्रधानमंत्री मोदी ने विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया है. इस संबंध में 26 अगस्त के पूर्वाह्न 11 बजे संसद के एनेक्सी में बैठक होगी.

विदेश मंत्री एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर

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Published : Aug 23, 2021, 3:17 PM IST

Updated : Aug 25, 2021, 11:03 PM IST

नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि संसद में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को अफगानिस्तान के घटनाक्रम से अवगत कराया जाएगा. उन्होंने एक ट्वीट में लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्रालय (MEA) को यह निर्देश दिया है कि राजनीतिक दलों को अफगानिस्तान के बारे में पूरी जानकारी दी जाए.

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सभी सदस्यों की मौजूदगी में बैठक 26 अगस्त पूर्वाह्न 11 बजे संसद भवन एनेक्सी में होगी. जोशी ने ट्वीट किया, 'संसद में विभिन्न दलों के नेताओं को विदेश मंत्री डा. एस जयशंकर द्वारा अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति के बारे में 26 अगस्त, पूर्वाह्न 11 बजे मुख्य समिति कक्ष, पीएचए, नई दिल्ली में जानकारी दी जाएगी. ईमेल के जरिए आमंत्रण भेजे जा रहे हैं. सभी संबंधित लोगों से उपस्थित होने का अनुरोध किया जाता है.'

अफगानिस्तान संकट पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी का बयान

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्वीट में लिखा, 'अफगानिस्तान के घटनाक्रम के मद्देनजर, पीएम नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्रालय को राजनीतिक दलों के फ्लोर लीडर्स को ब्रीफ करने का निर्देश दिया है. संसदीय मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी इस संबंध में आगे की जानकारी देंगे.'

राजनीतिक दलों को अफगानिस्तान का घटनाक्रम बताएगा विदेश मंत्रालय

सरकार की ब्रीफिंग अफगानिस्तान से लोगों की निकासी के अभियान पर केंद्रित रहने की उम्मीद है तथा इसमें वहां के हालात को लेकर सरकार के आकलन की भी जानकारी दी जा सकती है. अफगानिस्तान से लोगों को निकालने के अभियान के तहत भारत, अफगानिस्तान के सिख और हिंदू समुदाय के लोगों समेत करीब 730 लोगों को यहां ला चुका है.

अफगानिस्तान से निकालकर लाए गए 146 भारतीय नागरिक कतर की राजधानी से चार अलग-अलग विमानों के जरिये सोमवार को भारत पहुंचे. इन नागरिकों को अमेरिका और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के विमान के जरिए पिछले कुछ दिन में काबुल से दोहा ले जाया गया था. भारत तीन उड़ानों के जरिए दो अफगान सांसदों समेत 392 लोगों को रविवार को देश वापस लाया था.

इससे पहले, 16 अगस्त को 40 से अधिक लोगों को स्वदेश लाया गया था जिनमें से ज्यादातर भारतीय दूतावास के कर्मी थे. काबुल से दूसरे विमान से 150 लोगों को लाया गया, जिनमें भारतीय राजनयिक, अधिकारी, सुरक्षा अधिकारी और कुछ अन्य भारतीय थे, जिन्हें 17 अगस्त को लाया गया था.

बता दें कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. इसके बाद से वहां अफरा-तफरी का माहौल है. अफगानिस्तान-तालिबान संकट (Afghan Taliban Crisis) के बीच एक अहम घटनाक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 17 अगस्त को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक की.

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प्रधानमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर हुई इस अहम बैठक के बाद अधिकारियों को यह निर्देश दिए. इसी बीच सूत्रों ने कहा है कि भारत इंतजार करेगा और देखेगा कि सरकार का गठन कितना समावेशी होगा और तालिबान कैसे आचरण करेगा. सूत्रों के मुताबिक तालिबान ने कश्मीर पर भी अपना रुख स्पष्ट किया है. इसके मुताबिक तालिबान कश्मीर को एक द्विपक्षीय, आंतरिक मुद्दा मानता है. पीएम ने कहा कि हिंदुओं और सिखों को देंगे शरण.

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इसके बाद काबुल में भारतीय राजदूत एवं दूतावास के कर्मियों समेत 120 लोगों को लेकर भारतीय वायुसेना का एक विमान मंगलवार को अफगानिस्तान से भारत पहुंचा था. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत सभी भारतीयों की अफगानिस्तान से सकुशल वापसी को लेकर प्रतिबद्ध है और काबुल हवाईअड्डे से वाणिज्यिक उड़ानों की बहाली होते ही वहां फंसे अन्य भारतीयों को स्वदेश लाने का प्रबंध किया जाएगा.

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काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने लचीला रुख अपनाते हुए पूरे अफगानिस्तान में 'आम माफी' की घोषणा की और महिलाओं से उसकी सरकार में शामिल होने का आह्वान किया. इसके साथ ही तालिबान ने लोगों की आशंका दूर करने की कोशिश है, जो एक दिन पहले उसके शासन से बचने के लिए काबुल छोड़कर भागने की कोशिश करते दिखे थे और जिसकी वजह से हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी का माहौल पैदा होने के बाद कई लोग मारे गए थे.

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गौरतलब है कि भारत ने 2001 के बाद से अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण में करीब 3 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है. संसद भवन, सलमा बांध और जरांज-देलाराम हाईवे प्रोजेक्ट में भारी निवेश किया है. इनके अलावा भारत-ईरान के चाबहार बंदरगाह के विकास का काम कर रहा है. भारत को ईरान के रणनीतिक चाबहार के शाहिद बेहेश्टी क्षेत्र में पांच बर्थ के साथ दो टर्मिनल का निर्माण करना था, जो एक पारगमन गलियारे का हिस्सा होता. यह भारतीय व्यापार की पहुंच को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और रूस तक पहुंच प्रदान करता. इस परियोजना में दो टर्मिनल, 600-मीटर कार्गो टर्मिनल और 640-मीटर कंटेनर टर्मिनल शामिल थे. इसके अलावा 628 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का निर्माण होना था, जो चाबहार को अफगानिस्तान सीमावर्ती शहर जाहेदान से जोड़ती. जानकारों का मानना है कि भारत ने चीन के चाबहार के जवाब में ग्वादर प्रोजेक्ट में निवेश किया था. अब तालिबान के राज में इसके पूरा होने पर संशय है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Aug 25, 2021, 11:03 PM IST

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