हैदराबाद : तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया है ऐसे में भारत के साथ अफगानिस्तान के संबंध कैसे रहेंगे इसको लेकर अटकलें और चर्चाओं का दौर तेज है. अफगानिस्तान के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत ने पिछले हफ्ते ही अपने कंधार वाणिज्य दूतावास को बंद कर वहां से लगभग 50 अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों को निकाल लिया था. 15 अगस्त को उसने विमान से वहां फंसे अपने नागरिकों को भी सुरक्षित निकाल लिया. लेकिन 16 अगस्त को आई रिपोर्टस के मुताबिक वहां करीब 1500 भारतीय फंसे हुए हैं. भारत सरकार ने एअर इंडिया की कुछ फ्लाइट्स को अपने नागरिकों को निकालने के लिए तैयार रखा है.
अफगानिस्तान-तालिबान संकट (Afghan-Taliban Crisis) के बीच केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि अफगानिस्तान में फंसे हिंदुओं और सिखों को निकालने (evacuation of Sikhs and Hindus) का इंतजाम विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) करेगा.
दूतावास बंद होने से संबंधों पर पड़ेगा असर
भारत ने कंधार में अपना दूतावास बंद कर दिया है. अप्रैल 2020 के बाद से अस्थायी रूप से बंद होने वाला यह तीसरा वाणिज्य दूतावास था. इससे पहले भारत ने हेरात और जलालाबाद में अपने वाणिज्य दूतावास बंद कर दिए थे. ऐसे में उसे अपने सभी नागरिकों को निकालने में जाहिर तौर पर दिक्कत होगी.
तालिबान से बातचीत नहीं होगी आसान
भारत जिस तरह से राष्ट्रपति गनी का समर्थन और तालिबान का विरोध करता आया है और अब तालिबान के काबिज हो जाने के बाद बातचीत का दौर आसान नहीं होगा. भारत के पास तालिबान के साथ संचार का कोई आधिकारिक चैनल नहीं है. यह 1990 के दशक के दौरान अफगानिस्तान में पहले तालिबान शासन में भी महंगा साबित हुआ था. हालांकि, वाशिंगटन पोस्ट के एक लेख में दावा किया गया है कि भारत तालिबान के साथ किसी स्तर पर बातचीत कर सकता है.
तीन बिलियन डॉलर के निवेश पर संकट
भारत ने 2001 के बाद से अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण में करीब 3 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है. संसद भवन, सलमा बांध और जरांज-देलाराम हाईवे प्रोजेक्ट में भारी निवेश किया है. इनके अलावा भारत-ईरान के चाबहार बंदरगाह के विकास का काम कर रहा है. भारत को ईरान के रणनीतिक चाबहार के शाहिद बेहेश्टी क्षेत्र में पांच बर्थ के साथ दो टर्मिनल का निर्माण करना था, जो एक पारगमन गलियारे का हिस्सा होता. यह भारतीय व्यापार की पहुंच को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और रूस तक पहुंच प्रदान करता. इस परियोजना में दो टर्मिनल, 600-मीटर कार्गो टर्मिनल और 640-मीटर कंटेनर टर्मिनल शामिल थे. इसके अलावा 628 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का निर्माण होना था, जो चाबहार को अफगानिस्तान सीमावर्ती शहर जाहेदान से जोड़ती. जानकारों का मानना है कि भारत ने चीन के चाबहार के जवाब में ग्वादर प्रोजेक्ट में निवेश किया था. अब तालिबान के राज में इसके पूरा होने पर संशय है.
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1.4 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार
भारत-अफगानिस्तान लंबे समय से भागीदार रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 1.4 बिलियन अमरीकी डालर था. 2019-20 में व्यापार की बात की जाए तो ये करीब 1.52 बिलियन अमरीकी डालर था. भारत से निर्यात 826 मिलियन अमरीकी डालर था और आयात 2020-21 में 510 मिलियन अमरीकी डालर था.