नई दिल्ली : तालिबान ने 20 साल बाद दोबारा अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के करीब तीन सप्ताह बाद ही सत्ता से बेदखल हो गई. भारत में अपना भविष्य संवारने आए अफगानी विद्यार्थी भी सहमे हुए हैं. अफगानी विद्यार्थी लगातार अपने परिजनों से संपर्क करने की कोशिश कर रहें हैं. वे भारत सरकार से मदद की अपील कर रहे हैं.
तालिबान ने जिस तरह अपनी हुकूमत एक बार फिर से अफगानिस्तान में जमा ली है, उसने पूरे विश्व में फैले अफगानियों को खौफजदा कर दिया है. अफगानिस्तान से हजारों किलोमीटर दूर बैठे अफगानी स्टूडेंट्स के दिलो-दिमाग पर भी तालिबान की दहशत का साया साफ दिख रहा है. ऐसे ही की कुछ छात्रों से आज हम आपको रूबरू करवाएं, जो भारत में रह रहे हैं. जिन्हें तालिबान का खौफ सता रहा है.
राजस्थान में रह रहे अफगानी छात्रों ने साझा किया दर्द
राजस्थान के कोटा में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थी अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद से डरे हैं. कोटा के निजी विश्वविद्यालय में अफगानिस्तान के करीब एक दर्जन से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं.
लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं
अफगानी मोहम्मद इदरीश कहते हैं कि वहां पर पूरी तरह से डर का माहौल है. अफगानिस्तान छोड़कर लोग बाहर जाना चाहते हैं. मेरे परिजन घरों में ही कैद हैं. लगातार तालिबान 20 साल से वहां पर सत्ता हथियाने की कोशिश कर रहा था. इसी के चलते लोग वहां पर डरे हुए हैं.
अफगानी छात्रों ने ईटीवी भारत से बयां किया दर्द. स्टूडेंट्स का कहना है कि वह अपने परिजनों से लगातार संपर्क में है. उन्होंने भी काबुल एयरपोर्ट की तस्वीरें देखी हैं, जिससे वो खौफ के साए में जी रहे हैं. अफगानिस्तान के छात्र मोहम्मद हारुन का कहना है कि उनके मुल्क में लोगों को अपनी जान का खतरा लग रहा है. इसी के चलते वे डरे हुए हैं.
तालिबान से बचने के लिए किसी भी तरह से बहुत देश छोड़कर भागने के लिए तैयार है. तालिबानी जल्द ही इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान बनाना चाह रहे हैं. इन छात्रों का कहना है कि उनका अंतिम वर्ष इस साल है. यह पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद वापस अफगानिस्तान ही जाएंगे, लेकिन अब वहां के हालात देखकर डर लग रहा है.
हिमाचल में रह रहे छात्रों ने साझा किया दर्द
वहीं, हिमााचल प्रदेश में रहने वाले अफगानी छात्रों ने ईटीवी भारत के साथ दर्द किया है. हिमाचल के नौणी विश्वविद्यालय में पढ़ रहे अफगानी छात्र सईद सफतुल्लाह अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर बेहद परेशान हैं. उन्होंने बताया कि वे छुट्टी बिताने के लिए काबुल गए हुए थे. अभी उनकी छुटी 10 दिन और बची थी, लेकिन वहां के हालता बदतर होने लगे. ऐसे में उनके परिजनों ने उन्हें भारत भेज दिया.
सईद ने कहा कि उनके परिवार में 9 लोग हैं, अब उन्हें उनकी चिंता सताने लगी है. अपना दर्द सांझा करते हुए सईद ने बताया कि न जाने उनकी फैमली का अब क्या होगा. वहां सब लोग अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे. पूरा देश अब तालिबान के कब्जे में है. उनके अपने नियम हैं, न जाने अब वहां क्या हालात होंगे. हर कोई अब अफगानिस्तान छोड़कर किसी और देश में जाने की सोच रहा है.
अफगानी छात्रों ने ईटीवी भारत से बयां किया दर्द. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में पढ़ाई कर रहे 17 अफगानी छात्र-छात्राएं बेहद दुखी हैं. उन्हें अपने परिवार, सगे संबंधियों और देश की चिंता सता रही है. यहां पर एमबीए, एमए राजनीति शास्त्र, लोक प्रशासन जैसे विभागों में डिग्री कर रहे इन विद्यार्थियों का कहना है कि उनके देश में तख्तापलट होने से अब उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं. उन्हें अपने परिवार की चिंता सता रही है.
अफगानी छात्रों ने ईटीवी भारत से बयां किया दर्द. आगे क्या होने वाला है, इसका कोई पता नहीं
पत्रकारिता विभाग दूसरा सेमेस्टर के छात्र वहीद जहीर ने कहा कि उन्हें परिजनों और अपने देश की चिंता है. आगे क्या होने वाला है, इसका कोई पता नहीं है. भारत सबसे बड़ा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है. हम यही चाहते हैं कि तालिबानी भी लोगों की भावनाओं का ख्याल रखें. इससे तालिबानियों और अफगानिस्तान के लोगों के बीच तालमेल बढ़ेगा, सब सामान्य हो जाएगा.
ऐसा कभी सोचा भी नहीं था
छात्र मिस्बाउदीन ने कहा कि अफगानिस्तान में जो हुआ, ऐसा कभी सोचा भी नहीं था. पूरे देश के लोग तनाव में हैं. हर घंटे घर वालों से बात हो रही है . विश्वविद्यालय में पढ़ रहे सभी अफगानी छात्र परेशान हैं. पढ़ाई कर लौटेंगे, तो वहां नौकरी नहीं होगी.
चंडीगढ़ के अफगानी छात्रों की गुहार, हमें बचा लो भारत सरकार
वहीं, चंडीगढ़ में रह रहे अफगानी छात्रों के सामने कई तरह के संकट खड़े हो गए हैं. ईटीवी भारत से अफगानी छात्र मुनीर काकर ने बताया कि वह पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते हैं. अफगानिस्तान में जो हालात हुए हैं उसकी वजह से वह न तो पढ़ाई कर पा रहे हैं और न ही चैन से सो पा रहे हैं. उन्हें अपने परिवार की काफी चिंता सता रही है.
मुनीर ने बताया कि चंडीगढ़ में अफगानिस्तान के करीब 350 से 400 छात्र रहते हैं और उनमें से कई छात्र ऐसे हैं जिनका वीजा खत्म होने वाला है. लेकिन उन्हें अभी तक एंबेसी से ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है जिससे उनका वीजा एक्सटेंड हो सके. इसलिए उन्होंने भारत सरकार से मदद करने की अपील की है.
अफगानी छात्रों के पास नहीं बचे पैसे
चंडीगढ़ में पढ़ने वाली अफगानी छात्रा परवाना ने कहा कि इस मुसीबत के समय में भारत सरकार से अपील करना चाहती है कि सरकार अफगानिस्तान के लोगों की मदद करने के लिए आगे आए. परवाना ने बताया कि चंडीगढ़ में ऐसे करीब 200 छात्र हैं, जो पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी कर पैसा कमा रहें हैं. लेकिन अब उनके पैसे खत्म हो गए हैं और वह चाह कर भी अफगानिस्तान से पैसे नहीं मंगवा सकते. इसलिए भारत सरकार को ऐसे छात्रों की मदद करने के लिए कदम उठाने चाहिए.
अफगानी छात्रों ने ईटीवी भारत से बयां किया दर्द. चिंता का विषय, फिर लौटेगा तालिबानी सजा का दौर
अफगानी छात्रों का यह चिंता सता रही है कि अपने पहले दौर में तालिबान ने इस्लामिक कानून को सख्ती से लागू किया था. मसलन मर्दों का दाढ़ी बढाना और महिलाओं का बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया था. महिलाओं के नौकरी करने और बिना किसी मर्द के घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी थी. सिनेमा, संगीत और लड़कियों की पढ़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. नियम तोड़ने वालों को खुलेआम बीच सड़क पर सजा दी जाती थी. इसके अलावा तालिबान लड़ाकों ने बामियान में यूनेस्को संरक्षित बुद्ध की प्रतिमा भी तोड़ दी थी.
ट्राइसिटी में रह रहे 300 अफगानी छात्र हैं परेशान
ट्राइसिटी (चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला) में करीब साढ़े 300 अफगानी छात्र रहते हैं, जो अलग-अलग यूनिवर्सिटी और कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें लड़कियां भी शामिल है. इस वक्त ये सभी छात्र अपने घरवालों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. इन छात्रों को भी तालिबान का खौफ सता रहा है. अफगानी छात्रों ने भारत सरकार से अपील की कि उनका वीजा बढ़ाया जाए. अफगानी छात्रों ने कहा कि किसी ने ऐसी कल्पना नहीं की थी, अफगानिस्तान में ऐसे हालात आएंगे.
ट्राइसिटी में रह रहे 300 अफगानी छात्र हैं परेशान छात्रों ने कहा कि तालिबान कितना बेरहम है कि इसको हमने भी देखा है. इसलिए वहां पर रहना अब मुश्किल है. महिलाओं की आजादी पूरी तरह से छीन जाएगी. ट्राइसिटी में कुछ अफगानी लड़कियां भी पढ़ाई करती है, लेकिन वह मीडिया के सामने आने से कतरा रही हैं. उन्हें अपने भविष्य का डर सता रहा है. अफगानी छात्रों का कहना है कि दो-तीन दिन पहले उनके घर वालों से उनकी बात हुई थी, तब उन्होंने कहा था कि तालिबान अफ़गानिस्तान में आ चुका है. आगे क्या होगा, यह कोई नहीं जानता.
लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले अफगानी छात्रों का छलका दर्द
यूपी के लखनऊ विश्वविद्यालय में 60 से ज्यादा अफगानी छात्र- छात्राएं पढ़ रहे हैं. ये सभी अफगानिस्तान में हुए राजनीतिक परिवर्तन के चलते हुए आशंकित है. इन छात्रों को अब न तो भविष्य दिख रहा है और न ही वर्तमान. इस घटना पर विदेशी छात्रों के कोऑर्डिनेटर इंटरनेशनल स्टूडेंट्स एडवाइजर सेंटर के प्रो. आरपी सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि इन विद्यार्थियों की बेचैनी बढ़ गई है. सभी छात्रों को अपने परिजनों की चिंता चिंता सता रही है.
लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले अफगानी छात्रों का छलका दर्द अफगानी छात्र मुख्तदिर ने कहा कि जब से तालिबान के कब्जे की खबर मिली है तब से हम सब परेशान हो गए हैं. सोशल मीडिया के पोस्ट देखकर डर गहराता जा रहा है. हम अपनों से बात करना चाहते हैं, लेकिन किसी से संपर्क नहीं हो पा रहा है. हमें घर की चिंता सता रही है. भविष्य में हमारा क्या होगा, यह भी समझ में नहीं आ रहा है.
एक अन्य पीएचडी स्कॉलर नेमतुल्लाह ने बताया कि वह अफगानिस्तान के गजनी प्रांत से हैं. उनकी पत्नी और बेटी उनके साथ लखनऊ में ही रहती है, लेकिन उनकी मां और भाई इस वक्त अफगानिस्तान में हैं. वे काबुल प्रांत में हैं. नेमतुल्लाह कहते हैं कि अभी स्थिति फिर भी ठीक है, लेकिन आगे क्या हो जाएगा इसका कोई भरोसा नहीं है.
कर्नाटक में रह रहे अफगान छात्रों ने ईटीवी भारत से साझा किया दर्द
कर्नाटक में रहे अफगानी छात्रों का छलका दर्द. कर्नाटक में इस समय 339 अफगान नागरिक रह रहे हैं. इनमें से 192 विद्यार्थी हैं. बैंगलोर विश्वविद्यालय में 10 से अधिक अफगानी छात्र पढ़ रहे हैं. इन छात्रों का कहना है कि पड़ोसी देशों को अफगानिस्तान की मदद के लिए एक साथ आना चाहिए. उनके परिजन घर में कैद हैं. वहीं महिला विद्यार्थियों का कहना है कि उन्हें भी काम करने और अध्ययन करने का अधिकार है.
धारवाड़ कृषि विश्वविद्यालय में 15 छात्र
धारवाड़ कृषि विश्वविद्याल में 15 अफगानी छात्र पढ़ते हैं. ये लोग अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर परेशान हैं. कुछ छात्रों का पाठ्यक्रम दो महीने के अंदर खत्म हो जाएगा, लेकिन वे अफगानिस्तान नहीं जाना चाहते हैं. हालांकि, छात्र अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. वहीं मैसूर विश्वविद्यालय में करीब 90 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. इन छात्रों ने विश्वविद्यालय के चांसलर से मुलाकात की और वीजा की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया.
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जिसने लिखी फतह की इबारत, क्या मिलेगी उसे अफगानिस्तान की जिम्मेदारी ?