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UNHCR कार्यालय के बाहर प्रदर्शन, अफगान नागरिकों ने बयां किया दर्द

दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (United Nations High Commissioner for Refugees) कार्यालय के बाहर सैकड़ों अफगान नागरिकों ने प्रदर्शन किया. वह 'शरणार्थी कार्ड' दिए जाने की मांग कर रहे थे. अफगान नागरिकों से वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी ने बात की. खास रिपोर्ट.

UNHCR कार्यालय के बाहर अफगान नागरिकों का विरोध प्रदर्शन
UNHCR कार्यालय के बाहर अफगान नागरिकों का विरोध प्रदर्शन

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Published : Aug 23, 2021, 6:33 PM IST

नई दिल्ली :अफगानिस्तान में दो दशक बाद तालिबान सत्ता पर काबिज हो गया है, जिससे वहां के हालात बद्तर हैं. वहां से नागरिकों को निकाले जाने का सिलसिला जारी है. इस बीच यहां कई साल से शरण लिए अफगान नागरिकों में अपने भविष्य को लेकर चिंता और अनिश्चितता है. सोमवार को अफगान शरणार्थी संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त के कार्यालय के बाहर इकट्ठा हुए और अधिकारों, वित्तीय सुरक्षा और शरणार्थी कार्ड की मांग की.

ईटीवी भारत से बात करते हुए महिला प्रदर्शनकारी अज़ीज़ा कादरी ने कहा, 'मैं दिल्ली के मालवीयनगर में रहती हूं. मेरा केस बंद हुए लगभग 5 साल हो गए हैं और हर साल हमें यहां मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. न तो हमें अफगानिस्तान में शांतिपूर्ण जीवन जीने का अधिकार है और न ही यहां भारत में. अफगानिस्तान में तालिबान महिलाओं को अपने घरों से बाहर जाने की अनुमति नहीं देता है; उन्हें काम करने या शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं है. हम बस यही उम्मीद करते हैं कि हमें शरणार्थी कार्ड मिल जाए और हम उम्मीद करते हैं कि यूएनएचसीआर जल्द से जल्द हमारे मामले देखेगा.'

अफगान नागरिकों ने बयां किया दर्द

शांतिपूर्ण जीवन जीने में मदद करें : कादरी
कादरी ने कहा, अफगानिस्तान में तालिबान महिलाओं को प्रताड़ित करता है, यही कारण है कि हम देश छोड़कर भाग आए. अल्लाह! जानता है आगे क्या होगा. कोई भी अपने देश को छोड़कर दूसरे देश में भागना पसंद नहीं करता है लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है. हमारे बच्चों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वे अपनी शिक्षा जारी रखने में असमर्थ हैं. हमें शांतिपूर्ण जीवन जीने में मदद करें.'

तालिबान के नियंत्रण में आने के साथ ही युद्ध से तबाह देश में हर गुजरते दिन के साथ स्थिति विकट होती जा रही है, अफगान महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा पीड़ित हैं. डर बढ़ रहा है कि तालिबान शासन के तहत अफगान महिलाओं को कठोर व्यवहार का खामियाजा भुगतना पड़ेगा, जिसका सामना उन्हें 1990 के दशक में करना पड़ा था. संकट के बीच अफगानिस्तान में महिलाओं की सुरक्षा बड़ी चिंता है. तालिबान ने जिस तरह से हत्याएं की हैं, यातनाएं दी हैं, उससे महिलाओं की सुरक्षा खतरे में है.

'हमें भविष्य को लेकर चिंता'
एक युवा अफगान छात्रा ने वित्तीय सुरक्षा की मांग करते हुए कहा, 'हम चाहते हैं कि यूएनएचसीआर हमारे अधिकारों को मान्यता दे. हमें किसी अन्य देश भेज दे क्योंकि यहां हमें कोई अधिकार नहीं मिले हैं. हम यहां 5 साल से अधिक समय से रह रहे हैं लेकिन हमारे पास बैंक खाता तक नहीं है. हम यूएनएचसीआर से अपील करते हैं कि हमें शरणार्थी कार्ड प्रदान करें ताकि हम काम कर सकें. यहां हमें अपने भविष्य को लेकर चिंता है.'

'महंगाई इतनी कि गुजारा करना मुश्किल'
दिल्ली में 6 साल से ज्यादा समय से रह रही एक अन्य अफगान महिला फराह प्रदर्शन में अपने बेटे को लेकर शामिल हुई. उसका कहना है कि 'मुझे शरणार्थी कार्ड मिला है, लेकिन इतने सालों में किसी ने भी हमारे साथ सहयोग नहीं किया है. वे हमें न तो दूसरे देश भेजा जा रहा है न ही यहां हमें कोई सुविधा दी जा रही है. हम नौकरी करते रहे हैं, लेकिन यहां सब कुछ इतना महंगा है कि गुजारा करना मुश्किल है. उनका कहना है कि निःसंदेह हम यहां सुरक्षित हैं लेकिन फिर भी लोगों में अनिश्चितता और भय बना हुआ है. हम अभी बेरोजगार हैं. यूएनएचसीआर को अफगान लोगों के कल्याण के लिए कुछ करना चाहिए, खासकर अब जबकि स्थिति और भी खराब है. इंशाअल्लाह! एक दिन अफगानिस्तान में शांति लौटेगी.'

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गौरतलब है कि अमेरिका ने जैसे ही युद्धग्रस्त राष्ट्र से सैनिकों की वापसी की घोषणा की, वहां के हालात खराब होने लगे. इस्लामिक संगठन तालिबान से जुड़े आतंकवादियों ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश से भाग गए, जिसकी दुनियाभर के कई नेताओं ने कड़ी आलोचना की है.

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