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अफगानी शरणार्थियों ने बयां किए जज्बात, बोले- हालात ठीक हो तो लौटें वतन

भारत में तो सुरक्षित हैं, लेकिन अफगानिस्ता में रह रहे परिवार के अन्य लोगों का चिंता सता रही है. भारत के लोग काफी अच्छे हैं और मदद करते हैं. कोराना से लगे लॉकडाउन के बाद यहां भी काम-धंधा कम हो गया है. भारत सरकार वीजा की अवधि समाप्त होने पर लगने वाला जुर्माना खत्म कर दे, तो हालात ठीक होने पर अपने वतन लौट जाएंगे. दिल्ली के वजीराबाद में रह रहे अफगानी शरणार्थियों ने ईटीवी भारत के साथ, इस तरह से अपने जज्बात बयां किये.

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Published : Aug 19, 2021, 7:27 PM IST

afghanistan people
afghanistan people

नई दिल्ली :देश की राजधानी में भी एक मिनी अफगानिस्तान बसता है. यहां के वजीराबाद में अफगानिस्तान से आए शरणार्थी पिछले दो दशक से ज्यादा समय से रह रहे हैं. यहां करीब डेढ़ सौ परिवार है. अफगानिस्तान में हालात नाजुक होने के बाद शरणार्थियों को परिवार की चिंता सता रही है. सभी अपनों का हालचाल जानने के लिए लगातार उनके संपर्क में हैं. ईटीवी भारत की टीम ने इन अफगानी परिवारों से बात की और उनके परिजनों के हालात जानने की कोशिश की.

अफगानी शरणार्थियों के मुखिया नईम पठान ने बताया कि यहां लोग एक-एक कर आए थे. अभी यहां पर करीब 150 परिवार रह रहे हैं. स्थानीय लोगों की ओर से भी काफी सहयोग मिलता है. हमारा देश भले ही अलग है, लेकिन समाज और मानवता एक है.

अफगानी शरणार्थियों ने बयां किए जज्बात

'भारत सरकार जुर्माना माफ कर दे'

उन्होंने बताया कि सभी लोग देश लौटना चाहते हैं. इनके पास जुर्माना भरने के लिए पर्याप्त राशि नहीं है. एक परिवार में जितने मेंबर हैं, उसके अनुसार 50,000 रुपये प्रति व्यक्ति जुर्माना भरना पड़ेगा. इसके बाद ही अपने देश जा सकते हैं, जिसके लिए सभी लोग एंबेसी में बैठे अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं कि भारत सरकार जुर्माना माफ कर दे, जो किसी भी देश में विदेशी नागरिक का वीजा खत्म होने के बाद लगाया जाता है.

वहीं, अन्य अफगानी शरणार्थियों ने बताया कि ऐसे हालात पहले कभी नहीं देखे. तालिबानी हमले के चलते लोग भारत व दूसरे देशों में रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं. वे भी रोजगार की तलाश में अपना देश छोड़कर भारत आये थे. यहां पर लंबे समय से गुजर-बसर कर रहे हैं. अब भारत में भी महंगाई और कोरोना की वजह से गुजारा नहीं हो रहा है. हालात सुधरने के बाद, अपने देश लौटना चाहते हैं.

हालात काफी बदहाल

एक अन्य शरणार्थी ने बताया कि वह पहले किराये पर दुकान लेकर सब्जियां बेचते थे. अब लॉकडाउन की वजह से हालात काफी बदहाल हो गए हैं. मौजूद हालात में किसी तरह ई-रिक्शा चलाकर गुजर-बसर कर रहे हैं. परिवार पालने के लिए कोई भी काम करने के लिए मजबूर हैं.

वहीं, एक अन्य शख्स ने बताया कि वजीराबाद में रह रहे अफगानी लोगों के लिये ढाबा चला रहे हैं. यहां पर अफगानिस्तान व्यजनों का स्वाद मिलता है. यहां पर परंपरागत अफगानी रोटी बनाई जाती है. एक रोटी करीब 400 ग्राम आटे से बनाई जाती है, जिसका स्वाद बिल्कुल वैसा ही है, जैसा अफगानिस्तान का होता है.

एक अन्य शरणार्थी ने बताया कि वह चार साल पहले दिल्ली आया था. अब किसी तरह एक ठेली पर फल बेचकर परिवार का गुजारा कर रहा है. अब तो हालात बिगड़ने के बाद परिजनों की चिंता सताए जा रही है. अफगानिस्तान में तालिबान ने जिस तरह कब्जा किया है, ऐसे हालात पहले कभी नहीं देखे थे.

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