वाराणसी: तू बन जा गली बनारस की मैं शाम तलक भटकूं तुझमें, बनारस की गलियां अपने हाथ में प्रसिद्ध हैं. इन गलियों पर फिल्म जगत में गीत भी बन चुके हैं. लेकिन इन गलियों का जितना आनंद पर्यटक लेते हैं. उतना ही इन गलियों में रहने वाले लोगों पर हमेशा एक बड़ा खतरा मंडराता है. यह खतरा है आगलगी का है. ऐसा इसलिए क्योंकि संकरी और पतली गलियों में आग लगने के दौरान फायर फाइटिंग सिस्टम का यहां तक न पहुंचना है. ऐसे में कई बार बड़े नुकसान झेलने पड़ते हैं. हाल ही में 14 जुलाई को काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर लकड़ियों पर लगी आग में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था.
इससे पहले वाराणसी की गलियों में लगी भीषण आग से हुए नुकसान भी बता देते हैं. करीब 10 साल पहले काशीपुरा क्षेत्र में एक गोदाम में लगी भीषण आग ने दिवाली के दिन करोड़ों का नुकसान कर दिया था. चौखंबा इलाके में सकरी गली में एक मकान में लगी आग को काबू करने में फायर सिस्टम नाकाम साबित हुए और एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई. इन सभी घटनाओं ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर गलियों में आग लगने पर क्या फायर सिस्टम पूरी तरह फेल साबित होगा या फिर कोई ऐसा प्लान आएगा, जो गलियों में आग के दौरान नुकसान को कम कर सके. फिलहाल इसके लिए वाराणसी के फायर फाइटिंग डिपार्टमेंट ने शासन के साथ मिलकर विदेशों की तर्ज पर गलियों की आग को नियंत्रित करने का प्लान तैयार किया है.
दरअसल, वाराणसी की गलियां इतनी पतली हैं कि कई गलियों में साइकिल से पहुंचना भी मुश्किल है. ऐसी स्थिति में यहां पर किसी बड़ी गाड़ी या फिर बाइक को लेकर जाना संभव नहीं है. यही वजह है कि कई बार आग लगने की स्थिति में नुकसान ज्यादा होता है. वाराणसी के दालमंडी, चौखंभा, राजा दरवाजा, काशीपुरा समेत कई इलाकों में पिछले दिनों लगी आग ने भारी तबाही मचाई है और जानमाल की क्षति हुई है. इसके बाद यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर इस तरह की आग को नियंत्रित करने के लिए क्या प्लानिंग की जा रही है.