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अक्सर अपने बयानों से पार्टी को मुश्किल में डाल देते हैं अधीर रंजन चौधरी - congress adhir ranjan controversy

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. अभी 'राष्ट्रपत्नी' वाले बयान पर वह घिर चुके हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि उनसे चूक हो गई है. लेकिन यह कोई पहला वाकया हो, ऐसा नहीं है. इससे पहले भी उनके बयान से पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी होती रहीं हैं. इनके ही बयान पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूख अब्दुल्ला ने कहा था, जब तक ऐसे नेता मौजूद हैं, कांग्रेस को पतन की ओर ले जाने के लिए मेहनत करने की जरूरत नहीं होगी.

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अधीर रंजन चौधरी

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Published : Jul 28, 2022, 10:06 PM IST

नई दिल्ली : बयान बहादुर अधीर रंजन चौधरी के लिए अपनी ही पार्टी को मुश्किल में डाल देना अब कोई नई बात नहीं रही. अब उन्होंने राष्ट्रपति को 'राष्ट्रपत्नी' कह कर फिर मुसीबत मोल ले ली है. आइए देखते हैं इससे पहले कब-कब उन्होंने अपने बयानों से अपनी पार्टी को शर्मसार किया है.

पिछले तीन दिनों से संसद से सड़क तक सरकार पर हावी होने की कोशिश कर रही कांग्रेस अचानक आज बैकफुट पर जाती दिखी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 'राष्ट्रपत्नी' कह कर उन्होंने पार्टी को फिर एक ऐसी स्थिति में डाल दिया है, जहां पार्टी उन्हें अगर बोझ समझने लगे तो कोई ग़लत नहीं होगा. अक्सर ये कह कर कि मुझे हिंदी नहीं आती, इसलिए मुझसे गलती हो जाती है, बच कर निकल जाने वाले अधीर रंजन इस बार साफ-साफ पकड़े गए हैं. पति और पत्नी दोनों ऐसे शब्द हैं कि कोई भी बांग्ला भाषी व्यक्ति समझ सकता है. अब अधीर और उनकी पार्टी के पास कोई जवाब नहीं है.

अधीर रंजन चौधरी बंगाल में कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं. लेकिन संसद हो या संसद के बाहर, ट्विटर हो या कोई और बयान, उन्हें 'यथा नाम तथा गुण' ही पाया गया है. कुछ कहते वक्त इतने अधीर हो जाते हैं कि अर्थ का अनर्थ कर देते हैं. जब धारा 370 हटाई गई थी तो अगस्त 2019 में संसद में अधीर रंजन चौधरी ने ये पूछ कर सबको चौंका दिया कि क्या सरकार जम्मू-कश्मीर को भारत का अंदरूनी मामला मानती है ? उन्होंने आगे कहा - 'मुझे शंका है क्योंकि यूनाइटेड नेशंस इसे 1948 से मॉनीटर कर रहा है. जब आप शिमला समझौते में और लाहौर समझौते में कश्मीर को द्विपक्षीय मसला मान चुके हैं, तो आप इसे भारत का अंदरूनी मामला कैसे कह सकते हैं.' इस बयान पर विपक्ष ने तो हंगामा किया ही, सदन में बैठी सोनिया गांधी तक ने उन्हें हैरत और गुस्से भरी निगाह से देखा कि आखिर वो कह क्या रहे हैं.

मई 2022 में अधीर रंजन चौधरी ने फिर एक सेल्फ गोल किया. ‘बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिल जाती है’ वाला राजीव गांधी का कथन ट्वीट कर दिया. मौका राजीव गांधी की पुण्यतिथि का था. जब सिख नेताओं और बीजेपी ने इसे लेकर उन पर हमले शुरू कर दिए, तो उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया और नया ट्वीट करते हुए लिखा- 'मेरे नाम से मेरे ट्विटर अकाउंट पर जो कुछ भी लिखा गया है, वो मेरी सोच नहीं है.' बाद में उन्होंने दिल्ली पुलिस में एक शिकायत लिखवाई और कहा कि जब ये ट्वीट किया गया तब उनका फोन उनके हाथ में ही नहीं था,क्योंकि वे तो पार्टी की एक बैठक में थे. ये उनके खिलाफ साज़िश है.

इस पर अपनी प्रतिक्रिया में फारूख अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा था कि कांग्रेस को पतन की ओर ले जाने के लिए बाहर से किसी को मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि पार्टी के भीतर ही सेल्फ गोल करने वाले मौजूद हैं. दो साल पहले लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी द्वारा प्रधानमंत्री के बारे में एक असंसदीय शब्द बोल दिया गया जिसे बाद में स्पीकर को कार्यवाही से हटाना पड़ा. बाद में सीएए और एनआरसी पर भी जब हंगामा हुआ था तो उन्होंने मोदी और अमित शाह को अवैध अप्रवासी बता दिया था, क्योंकि वे दोनों गुजरात से दिल्ली आए हैं.

लेकिन क्या राष्ट्रपत्नी वाले बयान को बीजेपी बड़ा बनाने की कोशिश कर रही है. शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी कहती हैं – 'चलिए मान भी लें कि अधीर रंजन चौधरी बयान देने में बहुत गलतियां करते हैं, लेकिन बीजेपी को भी बात का बतंगड़ नहीं बनाना चाहिए. जब अधीर रंजन ने मान लिया कि उनसे गलती हो गई तो मामले को रफा-दफा कर देना चाहिए.'

राजनीति, छवि बनने और बिगड़ने का खेल है. बनाने में सालों लगते हैं और बिगड़ने में पल भर नहीं लगते. मणिशंकर अय्यर के बाद अधीर रंजन चौधरी दूसरे नेता हैं जो अक्सर अपने बयानों से अपना और पार्टी का नुकसान कर लेते हैं. अय्यर फिलहाल हाशिए पर हैं लेकिन अधीर रंजन चौधरी बंगाल में कांग्रेस के बड़े नेता हैं. वे बेशक राष्ट्रपति से मिल कर माफी मांग लें, लेकिन जो नुकसान वो जाने अंजाने अक्सर कर जाते हैं, उससे उबरने में पार्टी को लंबा वक्त लग जाता है.

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