नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संत गुरू रविदास की समता-मूलक और भेदभाव-मुक्त समाज की संकल्पना को रेखांकित करते हुए रविवार को कहा कि ऐसे समाज एवं राष्ट्र के निर्माण के लिये संकल्पबद्ध होकर काम करना सभी देशवासियों का कर्तव्य है जहां समाज में समता रहे और सभी लोगों की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी हों.
श्री गुरू रविदास विश्व महापीठ राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि गुरू रविदास जी ने समता-मूलक और भेदभाव-मुक्त सुखमय समाज की कल्पना की थी . ऐसे में सभी देशवासियों का यह कर्तव्य है कि हम सभी ऐसे ही समाज एवं राष्ट्र के निर्माण के लिये संकल्पबद्ध होकर कार्य करें और संत रविदास के सच्चे साथी कहलाने के योग्य बनें.
उन्होंने कहा कि रविदास जैसे संतों का आगमन सदियों में होता है. उन्होंने कहा कि संत रविदास चाहते थे कि सबका पेट भरे, कोई भूखा न रहे.
उन्होंने कहा कि अच्छा इंसान वह है जो संवेदनशील है, समाज की मानवोचित मर्यादाओं का सम्मान तथा कायदे-कानून और संविधान का पालन करता है.
कोविंद ने कहा कि हमारे संविधान के प्रमुख शिल्पी बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने संत रविदास की संत-वाणी में व्यक्त अनेक आदर्शों को संवैधानिक स्वरूप प्रदान किया है.