नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडाणी समूह की कंपनियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने फैसला सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने फैसले में क्या-क्या कहा, इसे 5 प्वाइंट में जानिए...
- फैसला पढ़ते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अडाणी हिंडनबर्ग मामले की जांच को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से विशेष जांच दल (एसआईटी) को स्थानांतरित करने का कोई आधार नहीं है.
- सीजेआई ने कहा कि सेबी ने 22 में से 20 मामलों में जांच पूरी कर ली है. इसके साथ ही नियामक संस्था को बाकी दो मामलों में तीन महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया है.
- SC ने फैसला सुनाते हुए कहा कि OCCRP की रिपोर्ट को SEBI की जांच पर संदेह के तौर पर नहीं देखा जा सकता. सीजेआई ने कहा कि ओसीसीआरपी रिपोर्ट पर निर्भरता को खारिज कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि बिना किसी सत्यापन के तीसरे पक्ष संगठन की रिपोर्ट पर सबूत के तौर पर भरोसा नहीं किया जा सकता है.
- सीजेआई ने कहा कि वैधानिक नियामक पर सवाल उठाने के लिए अखबारों की रिपोर्टों और तीसरे पक्ष के संगठनों पर भरोसा करना आत्मविश्वास बढ़ाने वाला नहीं होगा. उन्होंने कहा कि उन्हें सेबी जांच पर संदेह करने के लिए इनपुट के रूप में माना जा सकता है लेकिन निर्णायक सबूत नहीं.
- शीर्ष अदालत ने केंद्र और सेबी को यह जांच करने का आदेश दिया कि क्या शॉर्ट सेलिंग पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट किसी कानून का उल्लंघन करती है, और यदि हां, तो उचित कानूनी कार्रवाई करें. कोर्ट ने केंद्र और सेबी को नियामक ढांचे को मजबूत करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर विचार करने के लिए भी कहा है.