शिमला:राजनीति गलियारों में अडानी का नाम समय-समय पर बड़ी जोरों शोरों से गूंजता रहता है. अक्सर विपक्षी नेता अडानी को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते रहते हैं. एक बार फिर से अडानी का नाम सुर्खियों में हैं. क्योंकि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने हिमाचल प्रदेश में सेब बागवानों को अडानी एग्रोफ्रेश स्टोर द्वारा कम दाम दिए जाने का मुद्दा उठाया है. उन्होंने अडानी पर आपदा के समय बागवानों से लूट का आरोप लगाया है. साथ ही प्रियंका ने प्रधानमंत्री से पूछा है कि इस लूट को रोकने के लिए कुछ कर क्यों नहीं रहे हैं? गौरतलब है कि इन दिनों हिमाचल में सेब सीजन चल रहा है. हर साल अडानी एग्रोफ्रेश स्टोर 22 से 24 हजार मीट्रिक टन सेब खरीदता है. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि अडानी ग्रुप हिमाचल के बागवानों से सेब खरीदने के लिए क्या प्रोसेस अपनाता है और यहां अडानी के कितने सीए स्टोर हैं.
इस साल अडानी एग्रोफ्रेश ने बागवानों से सेब खरीद शुरू कर दी है, लेकिन बाजार से कम कीमत मिलने पर किसानों और बागवानों ने आपत्ति जाहिर की. जिसके बाद अडानी एग्रोफ्रेश ने सेब की कीमत बढ़ा दी. वहीं, इस साल हिमाचल सरकार ने सेब किलो के हिसाब से खरीदने का नियम बनाया है. हालांकि, अडानी सीए स्टोर में पहले से ही सेब किलो के हिसाब से खरीदे जा रहे हैं. यहां सेब खरीद के लिए अडानी ग्रुप ने कई मापदंड तय किए हैं. जिसके अनुसार ही सेबों के दाम तय किए जाते हैं.
हिमाचल प्रदेश में अडानी कंपनी के तीन सीए स्टोर हैं, ये तीनों स्टोर शिमला जिले में ही हैं. हर साल अडानी एग्रोफ्रेश स्टोर 22 से 24 हजार मीट्रिक टन सेब खरीदता है. हिमाचल के रोहड़ू मेंहदली, ठियोग के सैंज और रामपुर बीथल में अडानी के तीन सीए स्टोर है. रोहड़ू मेंहदली सीए स्टोर की क्षमता 10 हजार मीट्रिक टन, सैंज सीए स्टोर की क्षमता 6 हजार मीट्रिक और रामपुर बीथल सीए स्टोर की क्षमता 6 हजार मीट्रिक टन है. इन सीए स्टोर में सेब की खरीद ग्रेडिंग के हिसाब से की जाती है.
हिमाचल सरकार ने भले ही इस बार मंडियों में सेब किलो के हिसाब से खरीदने का फैसला लिया है, लेकिन प्रदेश में किलो के हिसाब से सेब खरीदने का श्रेय अडानी एग्रोफ्रेश को ही जाता है. पिछले 16 सालों से अडानी की कंपनी हिमाचल में सेब की खरीद कर रही है. अडानी के सीए स्टोर पर सेब की खरीद किलो के हिसाब से की जाती है. कुछ और वजह से भी बागवान अडानी एग्रोफ्रेश में सेब बेचने को प्राथमिकता देते हैं. यहां बागवानों को पेटियों में सेब भरने की जरूरत नहीं होती. बागवान सेब क्रेट में भरकर स्टोर्स में ले जाते हैं. इसके अलावा अडानी कंपनी की ओर से भी सेब लाने के लिए क्रेट बागवानों को दिए जाते हैं. जिससे बागवानों का क्रेट या पेटियों का खर्च बच जाता है.
अडानी एग्रोफ्रेश सीए स्टोर पर सेब कलर, साइज और क्वालिटी के हिसाब से रेट तय किए जाते हैं. सीए स्टोर 80 से 100 फीसदी कलर वाले सेब लार्ज मीडियम साइज (LMS), एक्ट्रा लारज (EL), एक्स्ट्रा स्मॉल (ES), एक्स्ट्रा-एक्स्ट्रा स्मॉल (EES) और पीतू (PITTU) सेब को प्रति किलो के हिसाब से खरीदता है. वहीं, 60 से 80 फीसदी कलर वाले सेब लार्ज मीडियम साइज (LMS), एक्ट्रा लार्ज (EL) , एक्स्ट्रा स्मॉल (ES), एक्स्ट्रा-एक्स्ट्रा स्मॉल (EES) और पीतू (PITTU) प्रति किलो के हिसाब से खरीदता है. जबकि 60 फीसदी से कम कलर वाले और कलर लेस सेब काफी कम दामों में खरीदता है. गौरतलब है कि सेब के दाम कलर, साइज, क्वालिटी के आधार पर ही तय होती है.