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IPS मणिलाल पाटीदार को किया गया बर्खास्त, सूची से भी हटाया गया नाम - मणिलाल पाटीदार

यूपी कैडर के 2014 बैच के आईपीएस अफसर मणिलाल पाटीदार पर कार्रवाई की गई है. आईपीएस अफसर पर गंभीर आरोप लगे थे.

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Published : Jun 24, 2023, 1:48 PM IST

लखनऊ :उत्तर प्रदेश कैडर के 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार पर बड़ी कार्रवाई की गई है. गृह विभाग के अधिकारी के मुताबिक, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने यूपी सरकार की सिफारिश पर पाटीदार को आईपीएस सेवा से बर्खास्त कर दिया है. मणिलाल मौजूदा समय लखनऊ जेल में बंद है. उन पर महोबा के एक व्यापारी को आत्महत्या के लिए उकसाने, भ्रष्टाचार समेत कई गंभीर आरोप हैं. मणिलाल ने बीते वर्ष अक्टूबर में दो साल फरार होने के बाद कोर्ट में सरेंडर किया था. अब आईपीएस की लिस्ट से भी उनका नाम हटा दिया गया है.

सूची से हटाया गया नाम :लखनऊ जेल में बंद 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. वर्ष 2020 में महोबा के व्यापारी की मौत के बाद मणिलाल पाटीदार फरार हुए थे, उन्हें पुलिस करीब दो वर्ष तक ढूंढती रही थी, जिसके बाद योगी सरकार ने पाटीदार को निलंबित कर केंद्र सरकार को उन्हे बर्खास्त करने की सिफारिश की थी. गृह विभाग के अधिकारी के मुताबिक, हाल ही में केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने मणिलाल पाटीदार को बर्खास्त कर आईपीएस सूची से उनका नाम हटा दिया है.

IPS मणिलाल पाटीदार को किया गया बर्खास्त



कारोबारी की मौत के बाद फरार हुआ था मणिलाल :यूपी में महोबा के कबरई में जवाहर नगर निवासी क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने 7 सितंबर 2020 को तत्कालीन जिले के एसपी मणिलाल पाटीदार पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए एक वीडियो बनाया था. जिसे कारोबारी ने एक शिकायती पत्र के साथ सीएम योगी और डीजीपी को भी भेजा था. वीडियो में व्यापारी ने कबरई पत्थरमंडी ठप होने की वजह से पैसे न देने की असमर्थता जताई थी. साथ ही कबरई थाना प्रभारी पर भी गंभीर आरोप लगाए थे. इंद्रकांत त्रिपाठी ने वीडियो में अपनी हत्या की आशंका भी जताई थी. वीडियो वायरल होने के एक दिन बाद इंद्रकांत त्रिपाठी अपनी कार में घायल हालत में मिले. उनके गले पर गोली लगी थी. इलाज के लिए उन्हें कानपुर के रीजेंसी अस्पताल ले जाया गया, जहां 13 सितंबर 2020 को उनकी मौत हो गई.

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मणिलाल पर दर्ज हुआ था केस :11 सितंबर 2020 को शासन के निर्देश पर पुलिस ने मणिलाल पाटीदार, कबरई थाने के प्रभारी देवेंद्र शुक्ला, कॉन्स्टेबल अरुण यादव और दो व्यापारियों पर आईपीसी की धारा 302 के तहत केस दर्ज किया. यूपी सरकार ने एसआईटी का गठन किया, जिसमें आत्महत्या की पुष्टि हुई. इसके बाद आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप) में मामला दर्ज किया गया. कारोबारी इन्द्रकांत के आरोप और उनकी संदिग्ध मौत के बाद शासन ने मणिलाल पाटीदार को निलंबित कर पुलिस महानिदेशक कार्यालय से अटैच किया गया. लेकिन, वो रातों-रात फरार हो गया. पुलिस ने पाटीदार पर एक लाख का इनाम भी घोषित किया था. करीब दो वर्ष फरारी काटने के बाद उसने लखनऊ की कोर्ट में अक्टूबर माह को सरेंडर कर दिया, तब से ही वह जेल में बंद है.

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