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Punjab Assembly Polls: पंजाब में चलेगी आप की 'झाड़ू' या बीजेपी बनेगी किंगमेकर?

एग्जिट पोल में पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार (Aam Aadmi Party government in Punjab) बनती नजर आ रही है. मगर पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election) में जिस तरह वोटिंग हुई, उससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार त्रिशंकु विधानसभा (hung assembly) भी हो सकती है. अगर पंजाब में एग्जिट पोल के मुताबिक नतीजे आए तो वहां की राजनीति पूरी तरह बदल जाएगी.

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Published : Mar 9, 2022, 7:31 PM IST

नई दिल्ली:117 सीटों वाले पंजाब में सरकार कौन बनाएगा? पुरानी परंपरा के तहत सरकार बदल जाएगी या कांग्रेस का जादू चलेगा. आम आदमी पार्टी सत्ता के करीब पहुंचेगी या त्रिशंकु विधानसभा (hung assembly) से सत्ता के नए सियासी समीकरण बनेंगे. पंजाब में ये सारे चुनावी समीकरण 10 मार्च यानी गुरुवार को तय होगा. यहां पर विधानसभा की कुल 117 सीटें हैं. पंजाब के मालवा इलाके में 69, दोआबा में 23 और माझा की 25 सीट के लिए एक ही चरण में वोट डाले गए थे. चुनाव आयोग के अनुसार पंजाब में करीब 71.95 फीसद वोटिंग हुई थी. राज्य में पिछले तीन विधानसभा चुनावों से इसकी तुलना की जाए तो 2022 में सबसे कम मतदान हुआ था.

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी

पंजाब की 117 सीटों के1304 उम्मीदवारों का राजनीतिक भविष्य दांव पर है. पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भदौड़ और चमकौर साहिब सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा आप के सीएम कैंडिडेट भगवंत मान, कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू, अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर बादल के भाग्य का फैसला भी गुरुवार को होगा. इस बार अकाली दल ने बीएसपी के साथ गठबंधन किया है. पंजाब की 117 सीटों में से 97 सीटें अकाली और 20 सीटें बसपा मिली हैं. बीजेपी ने कैप्टन अमरिंदर की पार्टी के अलावा अकाली दल संयुक्त के साथ गठजोड़ किया है.

पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल

पंजाब में बीजेपी 68, पंजाब लोक कांग्रेस 34 और अकाली दल संयुक्त 15 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं. इसके अलावा चुनाव मैदान में संयुक्त समाज मोर्चा और संयुक्त संघर्ष पार्टी भी है. भले ही राजनीति में परिवारवाद की आलोचना होती हो, मगर पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान नेताओं ने अपने परिवार के सदस्यों और करीबियों को राजनीति में उतारकर अपनी विरासत आगे बढ़ा ली. इस चुनाव के दौरान कई परिवार ऐसे भी हैं, जिनके दो सदस्य चुनाव मैदान में थे. परिवार को चुनावी राजनीति में बढ़ाने में कांग्रेस अन्य दलों से आगे रही.

पीएम मोदी ने किया था प्रचार मगर वोटिंग कम हुई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14, 16 और 17 फरवरी को पंजाब में चुनावी रैलियों को संबोधित किया था. 14 फरवरी को जालंधर में हुई प्रधानमंत्री की चुनावी रैली में खूब भीड़ जुटी, मगर जिले में भी मतदान प्रतिशत कम ही रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 फरवरी को पठानकोट में एक चुनावी रैली को संबोधित किया था, वहां की तीन सीटों पर 2017 के मुकाबले 3 फीसदी कम वोट पड़े. पिछले चुनाव की तुलना में वोटर कम क्यों निकले, इसके बारे में कोई स्थिति स्पष्ट नहीं है. पठानकोट विधानसभा क्षेत्र में जहां 2017 में 76.49 फीसदी वोट पड़े थे, इस चुनाव में 73.82 फीसदी वोटरों ने मतदान किया. प्रधानमंत्री मोदी की तीसरी रैली 17 फरवरी को राजस्थान बॉर्डर के पास स्थित विधानसभा क्षेत्र अबोहर में हुई थी. यहां भी वोटिंग में 4.61 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.

पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह

कांग्रेस से हिंदू वोटर नाराज

बताया जा रहा है कि चुनाव के दौरान हिंदू वोटर कांग्रेस से नाराज रहे. कैप्टन अमरिन्दर सिंह के बाद पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया था. चर्चा यह रही कि हिंदू होने के कारण उन्हें सीएम की कुर्सी नहीं मिली. इसलिए हिंदू वोटर कांग्रेस, सीएम चन्नी और पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिद्धू से भी खफा हैं. नवजोत सिद्धू अपने ही मुख्यमंत्री चन्नी से नाराज हैं, क्योंकि वह खुद सीएम पद के दावेदार थे.

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सीएम चन्नी इसलिए नाराज चल रहे हैं कि चुनाव के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू और सुनील जाखड़ की बयानबाजी के कारण कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ. फिलहाल यह कहा जा सकता है कि पंजाब कांग्रेस में तालमेल की बड़ी कमी रही. वहीं शिरोमणि अकाली दल के लिए यह चुनाव न सिर्फ साख बचाने बल्कि अस्तित्व बरकरार रखने का भी चुनाव है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि चुनाव में अकाली दल नहीं जीती, तो बादल परिवार का पार्टी से वर्चस्व खत्म हो जाएगा. साथ ही पार्टी में भगदड़ मच सकती है.

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