शिमला:दिल्ली और पंजाब के बाद आम आदमी पार्टी की नजर अब हिमाचल प्रदेश (AAP eyes on Himachal Pradesh) पर हैं. इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव में 'आप' ने सभी 68 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कियाहै. हिमाचल में चुनावी शंखनाद के लिए पार्टी ने मंडी को चुना है, जहां बुधवार 6 अप्रैल को मेगा रोड शो का आयोजन होगा. मंडी में होने वाले रोड शो में पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ पंजाब सीएम भगवंत मान समेत पार्टी के कई नेता मौजूद होंगे.
6 अप्रैल ही क्यों:सवाल है कि आम आदमी पार्टी ने हिमाचल में सियासी पारी के आगाज के लिए 6 अप्रैल का दिन क्यों चुना? दरअसल 6 अप्रैल को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी और केंद्र के साथ हिमाचल में सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी का स्थापना दिवस है. उस दिन देश और प्रदेश में पार्टी के कई कार्यक्रम होंगे. इस बीच अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने हिमाचल में ऐलान-ए-जंग के लिए इसी दिन को चुनकर 6 अप्रैल की तारीख में तड़का मार दिया है.
ये 'आप' का स्टाइल है:2014 लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल वाराणसी लोकसभा सीट से सीधे बीजेपी के तत्कालीन प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ मैदान में उतर गए थे. इसी तरह जब आम आदमी पार्टी पहली बार चुनावी मैदान में उतरी तो दिल्ली विधानसभा चुनाव 2013 में अरविंद केजरीवाल खुद दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ चुनाव मैदान में खड़े हो गए और जीत हासिल की थी. इसी तरह इस बार हिमाचल में चुनाव लड़ने के ऐलान किया तो अरविंद केजरीवाल मंडी से शंखनाद करने जा रहे हैं. मंडी सूबे के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह जिला है. 'आप' हिमाचल में कांग्रेस नहीं बल्कि बीजेपी से अपनी टक्कर मान रही है. जानकार मानते हैं कि ऐसे में ये सीधे मुख्यमंत्री के गृह जिले और फिलहाल बीजेपी का गढ़ माने जा रहे मंडी से आम आदमी पार्टी की सीधी चुनौती है.
मंडी को चुनने की और भी है वजह:मंडी सिर्फ बीजेपी का गढ़ या सीएम जयराम ठाकुर का गृह जिला नहीं है बल्कि मंडी इलकौती लोकसभा सीट है जो कांग्रेस के पास है. बीते साल हुए उपचुनाव में कांग्रेस के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह पर खेला गया दांव सटीक बैठा. 2014 से लेकर 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हिमाचल की चारों सीटें बहुत बड़े अंतर से अपने नाम की थी. आम आदमी पार्टी मंडी में कांग्रेस और बीजेपी दोनों को टक्कर देने के मन से उतर रही है. इसके अलावा मंडी ही पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम का गढ़ भी है. जिनका परिवार फिलहाल कांग्रेस और बीजेपी में बंटा हुआ है. फिलहाल पंडित सुखराम अपने पोते के आश्रय शर्मा के साथ कांग्रेस में हैं तो बेटा अनिल शर्मा बीजेपी में, इसी मंडी जिले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कौल सिंह ठाकुर भी हैं. जो कांग्रेस के एक अलग ही धड़े का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं.
बीजेपी-कांग्रेस के बागी होंगे 'आप' के साथी:आम आदमी पार्टी इस वक्त हिमाचल में लोगों को अपने साथ तो जोड़ रही है लेकिन बड़े चेहरों की तलाश अब भी जारी है, जिसका फायदा हिमाचल में 'आप' को मिल सके. वैसे कांग्रेस और बीजेपी के नाराज नेताओं को अपने साथ शामिल करने में कोई परहेज नहीं होगा. जानकार मानते हैं कि आम आदमी पार्टी ने इस बात को ध्यान में रखकर भी मंडी को चुना है, जहां सुखराम परिवार से लेकर कौल सिंह समेत ऐसे नाराज नेताओं की लंबी फेहरिस्त है.
सियासी जानकार मानते हैं कि कांग्रेस हो या बीजेपी बगावत कहीं ज्यादा तो कहीं कम मौजूद है. चुनाव आते-आते टिकट के चाहवानों से लेकर बागी नेताओं की फेहरिस्त बढ़ने से भगदड़ मचेगी, जिसका फायदा आम आदमी पार्टी को कम से कम अपन कुनबा बढ़ाने में तो मिल ही सकता है. हाल-फिलहाल भी यूथ कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनीष ठाकुर समेत कई कांग्रेसी 'आप' की झाड़ू थाम चुके हैं. कहा जा रहा है कि 6 अप्रैल को कई नेता आम आदमी का दामन थाम सकते हैं.
दिल्ली की कहानी पंजाब की जुबानी:बीते 5 सालों में जहां भी आम आदमी पार्टी चुनाव प्रचार के लिए पहुंची है वहां दिल्ली मॉडल की चर्चा की है. पंजाब की सत्ता तक पहुंचने में भी इस मॉडल की अहम भूमिका रही है. जानकार मानते हैं कि हिमाचल में भी चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी दिल्ली मॉडल की चर्चा तो करेगी लेकिन पंजाब में बनी नई नवेली सरकार के कामों पर भी फोकस होगा. हिमाचल में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं, तब तक पंजाब में सत्ता संभाल रही आम आदमी पार्टी अपना 6 महीने का रिपोर्ट कार्ड भी हिमाचल की जनता के सामने रख सकती है. कुल मिलाकर दिल्ली की कहानी पंजाब की जुबानी सुनाने की कोशिश होगी.
पंजाब से लगती सीटों पर आप का फोकस:पंजाब में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी के निशाने पर पंजाब से लगते हिमाचल प्रदेश के जिले होंगे. कांगड़ा और ऊना जैसे पंजाब से सटे जिलों में पार्टी का खास फोकस रह सकता है. कांगड़ा जिले में 15 और ऊना की 5 विधानसभा सीटें हैं. जानकार मानते हैं कि जीत-हार तो भविष्य की गर्त में है लेकिन पंजाब से हिमाचल के लगती सीटों को साधने की कोशिश तो की ही जा सकती है.
स्कूल, अस्पताल, बिजली, पानी हैं 'आप' के हथियार:कांग्रेस-बीजेपी के शासन से मुक्त कराना और स्कूल, अस्पताल, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को बेहतर करने का वादा करना. आम आदमी पार्टी के ये सबसे बड़े हथियार हैं, और पार्टी इन्हीं को हिमाचल में दोहरा रही है. हालांकि हिमाचल में स्कूल, अस्पताल या बिजली, पानी की समस्या दिल्ली और पंजाब जैसी विकराल भले ना हो लेकिन पार्टी का फोकस इन्ही मुद्दों पर है.