नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र में मणिपुर के मुद्दे को लेकर अभी तक ठीक तरह से कार्यवाही नहीं चल पाई है. आज विपक्षी दलों के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल मणिपुर के हालात का जायजा लेने के लिए दिल्ली से रवाना होंगे. सदन में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह, राघव चड्ढा भले ही पुरजोर तरीके से अपनी बात उठाते रहे हों, लेकिन विपक्षी दलों के इस प्रतिनिधिमंडल में आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील गुप्ता शामिल होंगे. विपक्षी दलों के 20 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में सुशील गुप्ता भी शामिल हैं.
सुशील गुप्ता ने मणिपुर रवाना होने से पहले कहा कि वहां के हालात पर सरकार गंभीर नहीं है. वहां की स्थिति बहुत ही खराब है. इसलिए प्रतिनिधिमंडल वहां जाकर स्थिति का जायजा लेगा और फिर उस पर आगे क्या करना है, इस पर फैसला लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष द्वारा स्वीकार किया जाता है. जब तक उस प्रस्ताव पर बहस और मतदान नहीं हो जाती थी, तब तक कोई भी अन्य विधायी कार्य नहीं किया जाता था. हालांकि इन नियमों का उल्लंघन हो रहा है.
'आप' सांसद सुशील गुप्ता ने कहा कि मणिपुर में हजारों लोग बेघर हो गए हैं. सैकड़ों लोगों की जान चली गई और महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध हुए हैं. उन्होंने राज्यपाल और भाजपा के नेता के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की और सवाल किया कि वर्तमान मणिपुर सरकार को भांग क्यों नहीं किया गया? शांति बहाल करने और अनुच्छेद 355 और 356 जैसे संवैधानिक उपायों को क्यों नहीं अपनाया जा रहा है? क्या मणिपुर के अपेक्षाकृत छोटे होने और केवल दो लोकसभा सीट के कारण ऐसा है? अगर मणिपुर, यूपी की तरह अधिक सीटों वाला राज्य होता तो सरकार की प्रतिक्रिया अलग होती. अगर मणिपुर में गैर भाजपा सरकार होती तो केंद्र सरकार बहुत पहले ही राष्ट्रपति शासन लगा देती. बीजेपी को 80-85 दिन लग गए कार्रवाई करने में जबकि राज्य सरकार की निष्क्रियता के कारण लोग हर दिन परेशान हो रहे हैं.