नई दिल्लीःआम आदमी पार्टी (AAP) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश विधेयक राज्यसभा में पेश किए जाने का कड़ा विरोध किया है. राजधानी दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी अध्यादेश को लेकर 'आप' सरकार और केंद्र सरकार के बीच विवाद लगातार जारी है. बीते दिनों कांग्रेस ने भी केंद्र के इस अध्यादेश का विरोध करते हुए 'आप' की दिल्ली सरकार को समर्थन देने का ऐलान किया है. वहीं आज राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को एक पत्र लिखा है.
राघव चड्ढा ने ट्वीट किया कि दिल्ली अध्यादेश के स्थान पर विधेयक लाने का विरोध करते हुए राज्यसभा के माननीय सभापति को मेरा पत्र. पत्र में रेखांकित किया गया है कि दिल्ली अध्यादेश को बदलने के लिए राज्यसभा में विधेयक को पेश करना क्यों तीन महत्वपूर्ण कारणों से अस्वीकार्य है. उन्होंने आगे लिखा है कि मुझे आशा है कि माननीय सभापति विधेयक को पेश करने की अनुमति नहीं देंगे और सरकार को इसे वापस लेने का निर्देश देंगे.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 11 मई को अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए यह अधिकार दिल्ली सरकार को दिया था. इसके साथ ही ये भी कहा कि LG को सभी फैसले दिल्ली सरकार से बातचीत करके ही लेने चाहिए. SC के इस फैसले के बाद केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश लाया गया, जिसमें फिर से सभी अधिकार LG को मिल गए.
राघव चड्ढा ने कहा- 11 मई 2023 को, सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से माना कि संवैधानिक आवश्यकता के रूप में दिल्ली की एनसीटी सरकार में सेवारत सिविल सेवक सरकार की निर्वाचित शाखा यानी मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में निर्वाचित मंत्रिपरिषद के प्रति जवाबदेह है. जवाबदेही की यह कड़ी सरकार के लोकतांत्रिक और लोकप्रिय रूप से जवाबदेह मॉडल के लिए महत्वपूर्ण मानी गई थी.