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Delhi Ordinance: राघव चड्ढा ने राज्यसभा के सभापति को लिखी चिट्ठी, कहा- इन वजहों से पेश नहीं होना चाहिए विधेयक

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Published : Jul 23, 2023, 2:13 PM IST

Updated : Jul 23, 2023, 2:32 PM IST

दिल्ली सरकार ने अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर जारी अध्यादेश पर राज्यसभा में पेश किए विधेयक का कड़ा विरोध किया है. आप सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा सभापति को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने सभापति को वह तीन महत्वपूर्ण कारण बताए हैं, जिस आधार पर विधेयक को पेश होने से रोका जाना चाहिए.

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नई दिल्लीःआम आदमी पार्टी (AAP) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश विधेयक राज्यसभा में पेश किए जाने का कड़ा विरोध किया है. राजधानी दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी अध्यादेश को लेकर 'आप' सरकार और केंद्र सरकार के बीच विवाद लगातार जारी है. बीते दिनों कांग्रेस ने भी केंद्र के इस अध्यादेश का विरोध करते हुए 'आप' की दिल्ली सरकार को समर्थन देने का ऐलान किया है. वहीं आज राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को एक पत्र लिखा है.

राघव चड्ढा ने ट्वीट किया कि दिल्ली अध्यादेश के स्थान पर विधेयक लाने का विरोध करते हुए राज्यसभा के माननीय सभापति को मेरा पत्र. पत्र में रेखांकित किया गया है कि दिल्ली अध्यादेश को बदलने के लिए राज्यसभा में विधेयक को पेश करना क्यों तीन महत्वपूर्ण कारणों से अस्वीकार्य है. उन्होंने आगे लिखा है कि मुझे आशा है कि माननीय सभापति विधेयक को पेश करने की अनुमति नहीं देंगे और सरकार को इसे वापस लेने का निर्देश देंगे.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 11 मई को अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए यह अधिकार दिल्ली सरकार को दिया था. इसके साथ ही ये भी कहा कि LG को सभी फैसले दिल्ली सरकार से बातचीत करके ही लेने चाहिए. SC के इस फैसले के बाद केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश लाया गया, जिसमें फिर से सभी अधिकार LG को मिल गए.

राघव चड्ढा ने कहा- 11 मई 2023 को, सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से माना कि संवैधानिक आवश्यकता के रूप में दिल्ली की एनसीटी सरकार में सेवारत सिविल सेवक सरकार की निर्वाचित शाखा यानी मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में निर्वाचित मंत्रिपरिषद के प्रति जवाबदेह है. जवाबदेही की यह कड़ी सरकार के लोकतांत्रिक और लोकप्रिय रूप से जवाबदेह मॉडल के लिए महत्वपूर्ण मानी गई थी.

राघव चड्ढा के पत्र में बताए गए तीन कारण निम्न हैंः

  1. राघव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रद्द करने वाले कदम को गैरकानूनी ठहराया है. उन्होंने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट के किसी भी निर्णय को बदलने के लिए निर्णय के आधार को बदलना पड़ता है. प्रथम दृष्टया यह अस्वीकार्य और असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत, दिल्ली सरकार से 'सेवाओं' पर नियंत्रण छीनने की मांग करके, अध्यादेश ने अपनी कानूनी वैधता खो दी है, क्योंकि उस फैसले के आधार को बदले बिना अदालत के फैसले को रद्द करने के लिए कोई कानून नहीं बनाया जा सकता है. अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार को नहीं बदलता है, जो कि संविधान ही है.
  2. उपरोक्त अध्यादेश से अनुच्छेद 239AA का उल्लंघन होता है. अनुच्छेद 239AA(7) (ए) संसद को अनुच्छेद 239AA में निहित प्रावधानों को 'प्रभावी बनाने' या 'पूरक' करने के लिए कानून बनाने का अधिकार देता है. अनुच्छेद 239AA की योजना के तहत, 'सेवाओं' पर नियंत्रण दिल्ली सरकार का है. इसलिए, अध्यादेश के अनुरूप एक विधेयक अनुच्छेद 239AA को 'प्रभावी बनाने' या 'पूरक' करने वाला विधेयक नहीं है, बल्कि अनुच्छेद 239AA को नुकसान पहुंचाने और नष्ट करने वाला विधेयक है, जो अस्वीकार्य है.
  3. अध्यादेश संवैधानिकता को चुनौती देता है. अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसने 20 जुलाई 2023 के अपने आदेश के तहत इस सवाल को संविधान पीठ को भेजा है कि क्या संसद का एक अधिनियम (और सिर्फ एक अध्यादेश नहीं) अनुच्छेद 239AA की मूल आवश्यकताओं का उल्लंघन कर सकता है. चूंकि संसद द्वारा पारित किसी भी अधिनियम की संवैधानिकता पहले से ही सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के समक्ष है, इसलिए विधेयक पेश करने से पहले निर्णय के परिणाम की प्रतीक्षा करना उचित होगा.

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Last Updated : Jul 23, 2023, 2:32 PM IST

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