अहमदाबाद : आम आदमी पार्टी की स्थापना 26 नवंबर, 2012 को दिल्ली में हुई थी. अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे के बीच मतभेद के बाद आप पार्टी की स्थापना की गई थी. उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के मुद्दे और लोकपाल पर कानून बनाने की मांग के समर्थन में एक राजनीतिक अभियान शुरू किया था.
इसके बाद केजरीवाल ने राजनीति में प्रवेश करने का फैसला किया और आम आदमी पार्टी का गठन किया. 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में, आप ने कुल 70 सीटों में से 28 सीटें जीतीं और सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी.
इसके बाद, आप ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई. हालांकि, आप सरकार 49 दिनों में गिर गई, क्योंकि किसी भी पार्टी ने उसके लोकपाल बिल का समर्थन नहीं किया था.
2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप ने कुल 70 सीटों में से 67 सीटें जीतीं, भारतीय जनता पार्टी को तीन, जबकि कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली. 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को कुल 70 सीटों में से 62, भाजपा को 8, जबकि कांग्रेस को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली.
पंजाब के अलावा अन्य राज्यों में नहीं मिली सफलता
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के बाहर कई बार चुनाव लड़ने का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हुई. इसे पंजाब में सीमित सफलता मिली है. आम आदमी पार्टी ने गुजरात की कुछ विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे. हालांकि, वहां भी उसे सफलता नहीं मिली.
अन्य राज्यों में हार का कारण
अन्य राज्यों में आम आदमी पार्टी की हार के कई कारण हैं. आप के पास अरविंद केजरीवाल के अलावा कोई लोकप्रीय नेता नहीं है. लोगों को दिल्ली मॉडल के सफल निष्पादन में विश्वास नहीं है. आम आदमी पार्टी के नए सदस्य स्थानीय लोग होंगे, तो ही उन्हें वोट मिल सकता है. नया राजनीतिक दल होने के कारण आप को केवल नए सदस्य मिलते हैं और जनता को अपने राज्य के बाहर के लोगों को वोट देने में झिझक होती है.
सरकारी स्कूलों ने बनाया रिकॉर्ड
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद सरकारी स्कूल निजी स्कूलों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. दिल्ली के निवासी अपने बच्चों को निजी स्कूलों से निकालकर सरकारी स्कूलों में भर्ती करा रहे हैं. आज, सरकारी स्कूलों के छात्र आईआईटी की प्रतियोगी प्रवेश परीक्षाओं को पास कर रहे हैं. हाल ही में, दिल्ली के सरकारी स्कूलों ने 98 प्रतिशत परिणाम प्राप्त करके एक नया रिकॉर्ड बनाया. दिल्ली के लोगों को सस्ती बिजली, पानी, शिक्षा और आधुनिक सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा मिल रही है. मोहल्ला क्लीनिक बहुत सफल रहे हैं. केजरीवाल सड़क के किनारे बैठकें करके लोगों की राय लेते हैं.
क्या गुजरात दिल्ली मॉडल स्वीकार करेगा?
दिल्ली मॉडल की सफलता के बाद अरविंद केजरीवाल चाहते हैं कि आप उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात में चुनाव लड़े. दिल्ली मॉडल अन्य राज्यों के लोगों को लुभाने में आप की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि अभियान कितना प्रभावी है.
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गुजरात के विकास मॉडल और दिल्ली के विकास मॉडल के बीच प्रतिस्पर्धा होगी. गुजरात के विकास मॉडल की मार्केटिंग करने वाली केंद्र की मोदी सरकार अब हरफनमौला विकास की बात कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने विकास मॉडल का बिगुल फूंक दिया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने दिल्ली के विकास मॉडल पर गर्व कर रहे हैं. अब समय बताएगा कि कौन सा मॉडल गुजरात और अन्य राज्यों में काम करेगा.