हैदराबाद : दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी. अबतक हुई सुनवाई में केंद्र और दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने के ठोस उपाय तो नहीं बताया, मगर राजनीति खूब की. पिछले 6-7 साल से दिल्ली में प्रदूषण के लिए पंजाब और हरियाणा में जलाई जा रही पराली (Stubble Burning) को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा. मगर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पराली वाली दलील कमजोर पड़ गई.
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि साल के 2 महीनों में प्रदूषण के लिए 35 से 40 फ़ीसदी पराली का जलना वजह है साथ ही हवा की रफ्तार प्रमुख कारक है. जबकि पूरे साल प्रदूषण में पराली महज़ 3-4% वजह है. हालांकि सरकारी एजेंसी SAFAR ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि प्रदूषण में 48 प्रतिशत हिस्सा पराली का रहा है.
कंस्ट्रक्शन, फैक्ट्री और वाहन के कारण प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है. पराली के कारण सिर्फ दो महीने की दिक्कत होती है. दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) का कहना है कि इस साल पराली के धुएं का दिल्ली के प्रदूषण में 12 प्रतिशत योगदान रहा है. एक और संस्था द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट (टेरी) के मुताबिक पराली का योगदान सिर्फ छह प्रतिशत है. वैसे दिल्ली में दमघोंटू हवा के लिए इंडस्ट्री, कंस्ट्रक्शन के कारण उड़ने वाली धूल और वाहनों से निकलने वाला धुआं ज्यादा जिम्मेदार है.
आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार पर बोला हमला. फिलहाल यह धुआं दिल्लीवासियों को बीमारी दे रहा है और पंजाब में आम आदमी पार्टी को मुसीबत में डाल रहा है. दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय जिस तरह पराली जलाने के लिए पंजाब और हरियाणा के किसानों को जिम्मेदार बता रहे हैं. इस कारण कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी पर हमला कर रहा है.
बीजेपी का कहना है कि दिल्ली की ज़हरीली हवा के लिए किसान ज़िम्मेदार नहीं है बल्कि दिल्ली सरकार है, जो काम नहीं करती है. अगर पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण हो रहा है तो सबसे ज्यादा प्रदूषण तो इन दोनों राज्यों में होना चाहिए.
पंजाब के उद्योग मंत्री गुरकीरत सिंह कोटली ने भी कहा है कि केजरीवाल पराली जलाने के नाम पर पंजाब के किसानों को झूठा बदनाम कर रहे हैं. शिरोमणि अकाली दल ने केजरीवाल से माफी मांगने की मांग कर दी है. साथ ही, उसने पराली जलाने वाले किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग को लेकर अभियान तेज कर दिया है.
पराली की आग का मुद्दा अगर लंबा खिंच गया तो आम आदमी पार्टी को पंजाब में नुकसान हो सकता है. अभी तक हुए सर्वे में आम आदमी पार्टी सत्ता के करीब पहुंचती दिख रही थी. पिछले एक साल से चल रहे आंदोलन को समर्थन देने के कारण किसानों के वोट आम आदमी पार्टी को मिलने की उम्मीद है. 2017 विधानसभा चुनाव में वह 20 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी थी.
आप के पास पंजाब जीतने का अच्छा मौका :पंजाब में कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाकर दलित कार्ड खेल दिया है, पार्टी अभी भी नवजोत सिंह सिद्धू के रोज बदले जाने तेवर से उबर नहीं पाई है. शिरोमणि अकाली दल ने बीजेपी का साथ छोड़कर बीएसपी से गठबंधन किया है. किसान अभी भी कृषि कानून को सपोर्ट देने के कारण अकाली दल से नाराज हैं. कैप्टन अमरिंदर ने कांग्रेस छोड़ने के बाद अभी तक राजनीतिक अभियान शुरू नहीं किया है. गठबंधन खत्म होने के बाद बीजेपी की हालत पतली है. ऐसे हालात में आम आदमी पार्टी के पास पंजाब में जीतने के आसार बन रहे हैं. मगर जिस तरह पार्टी प्रदूषण और पराली के फेर में उलझी है, उससे नुकसान की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता है.