नई दिल्ली : दूरसंचार मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले दूरसंचार विभाग ने अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए नए नियमों को अधिसूचित कर लिया है, जो उपभोक्ताओं और दूरसंचार कंपनियों दोनों के लिए आधार और ओटीपी-आधारित ई-केवाईसी का उपयोग बहुत आसान बना देगा.
इससे उन लाखों मोबाइल उपयोगकर्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी, जो नया मोबाइल कनेक्शन लेना चाहते हैं या प्रीपेड से पोस्टपेड या इसके विपरीत अपने प्लान को बदलना चाहते हैं.
नए नियमों में सबसे महत्वपूर्ण आधार आधारित केवाईसी के माध्यम से नए मोबाइल नंबर का तत्काल एक्टिवेशन है, जिसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बंद कर दिया गया था. सितंबर 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि लोगों को अपने आधार को मोबाइल और बैंक खाते से जोड़ने के लिए मजबूर करना असंवैधानिक है.
हालांकि, बाद में सरकार ने बैंक खाते खोलने और नए मोबाइल कनेक्शन प्राप्त करने के लिए केवाईसी में आधार के स्वैच्छिक उपयोग की अनुमति देने के लिए तीन कानूनों में संशोधन किया, लेकिन नए नंबर के तत्काल एक्टिवेशन के लिए आधार आधारित केवाईसी की अनुमति नहीं थी.
अधिकारियों ने कहा कि पहले की प्रणाली के तहत, किसी भी ग्राहक को नया मोबाइल कनेक्शन प्राप्त करने या उस कनेक्शन को प्रीपेड से पोस्टपेड करवाने उसके इसके विपरीत मोबाइल कनेक्शन का रूपांतरण करवाने के लिए केवाईसी प्रक्रिया से गुजरना लिए पड़ता था और इसके प्रमाण पत्र के रूप में पहचान और पते के मूल दस्तावेजों के साथ बिक्री केंद्र पर जाना पड़ता था.
हाल के दिनों में ऑनलाइन सेवा वितरण एक स्वीकार्य मानदंड बन गया है और अधिकांश ग्राहक सेवाओं को ओटीपी प्रमाणीकरण के साथ इंटरनेट के माध्यम से प्रस्तुत किया जा रहा है. ग्राहकों की सुविधा और व्यवसाय करने में आसानी के लिए कोविड के इस काल में संपर्क रहित सेवाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता है.
इसके लिए यदि आधार का उपयोग किया जा रहा है और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) से इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनसांख्यिकीय विवरण प्राप्त किए जा रहे हैं तो ऐसे में ग्राहक की सहमति अनिवार्य कर दी गई है.
इसके साथ ही संपर्क रहित, ग्राहक केंद्रित और सुरक्षित केवाईसी प्रक्रियाओं को लागू करने के लिए दूरसंचार विभाग द्वारा तत्काल कार्यान्वयन के लिए आदेश जारी किए गए हैं.