मृतक छात्रा के पिता ने जिला प्रशासन पर लगाए नाकामी के आरोप कोटा. शहर में डेंगू और स्क्रब टायफस जानलेवा होता रहा है. इसी के चलते एक कोचिंग कर रही झारखंड निवासी छात्रा ने शुक्रवार को एक निजी अस्पताल में दम तोड़ दिया. बालिका बीते 4-5 दिनों से तेज बुखार से पीड़ित थी. उसकी तबीयत लगातार बिगड़ती रही और वह शॉक सिंड्रोम में चली गई थी. जिसके चलते उसे वेंटिलेटर का सपोर्ट देना पड़ा था. अस्पताल के डॉ रूपेश पवार के अनुसार छात्रा की डेंगू और स्क्रब टायफस दोनों पॉजिटिव आई हैं. हालांकि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ जगदीश सोनी इस बात से इनकार कर रहे हैं.
झारखंड के गोड्डा निवासी नीलकंठ मंडल ने साल 2022 में अपनी 19 वर्षीय बेटी स्नेहा भारती का कोटा की कोचिंग संस्थान में एडमिशन करवाया था. वह आईआईटी की तैयारी करने यहां पर आई थी. बीते साल उसका एडमिशन नहीं होने के चलते इस बार वह तलवंडी में पीजी में रहकर ही सेल्फ स्टडी कर रही थी. बीते महीने 28 अगस्त को उसको हल्का बुखार हुआ था. जिसका उसने उपचार लिया था. इसके बाद उसकी तबीयत लगातार बिगड़ती रही. उसके दोस्तों ने उसे गत 30 अगस्त को कोटा के इंद्र विहार स्थित निजी अस्पताल में भर्ती करवा था.
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उसके परिजन गुरुवार देर रात को झारखंड से आज ही कोटा पहुंचे थे. वे वेंटिलेटर पर उपचार ले रही स्नेहा से ठीक से बात भी नहीं कर पाए थे. उसके पहले आज उसने दम तोड़ दिया. उसके पिता नीलकंठ मंडल का कहना है कि उनकी बेटी पहले डेंगू पॉजिटिव आई थी. उसके बाद आज ही उसकी रिपोर्ट में स्क्रब टायफस भी पॉजिटिव आया था. नीलकंठ मंडल ने कोटा जिला प्रशासन पर नाकामी का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि कोचिंग छात्रों में बीमारी फैल जाना काफी गंभीर है. उन्होंने कहा कि देश भर से यहां पर बच्चे पढ़ने के लिए आ रहे हैं. ऐसे में प्रशासन इस पर गंभीर चिंतन करे.
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उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किसी तरह का कोई ध्यान नहीं दे रहा है. इस तरह की सामान्य बीमारियों में भी प्रशासन मदद नहीं कर रहा है. जबकि अस्पताल में उन्होंने ठीक उपचार मिलने की बात कही है. बालिका की मौत के बाद उसकी मां कोटा के चिकित्सा विभाग को कोस रही थीं. आपको बता दें कि कोटा में अब तक स्क्रब टाइफस संक्रमण के 72 केस आ चुके हैं. जबकि 300 से ज्यादा डेंगू संक्रमित मिले हैं. डेंगू के अधिकांश केस कोचिंग एरिया में मिले हैं. इनमें आधे कोचिंग स्टूडेंट संक्रमित मिले हैं.