कोयम्बटूर: गांधीपुरम, कोयम्बटूर, सोमनूर रूट पर बस को सहजता से चलाकर शर्मिला ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि महिलाएं किसी भी तरह से पुरुषों से कमजोर नहीं हैं. लोग बस स्टॉप के पास से गुजरते हुए जब शर्मिला को देखते हैं तो बधाई देकर ही आगे बढ़ते हैं. गांधीपुरम बस स्टेशन पर शर्मिला के साथ सेल्फी लेने के लिए हमेशा भीड़ लग जाती है, जो अब वहां की नई स्टार हैं.
ईटीवी भारत के रिपोर्टर श्रीनिसुब्रमण्यम से शर्मिला ने बात करते हुए बताया कि उनके पिता एक ऑटो चालक हैं और उन्होंने ही शर्मिला को इसके लिए प्रोत्साहित किया है. इससे पहले शर्मिला अपने पिता द्वारा चलाए जा रहे एलपीजी ऑटो को चलाया करती थीं.
शर्मिला का शुरु से ही ड्राइवर बनने का सपना था, उन्होंने इसी के कारण बड़े वाहन का ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त किया. वह इस पुरुष प्रधान समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहती थीं.
वे कहती हैं, "समाज में कई लोग ड्राइवर को अच्छी नजर से नहीं देखते हैं, लेकिन मुझे इस काम में दिलचस्पी है." "जब मैं सातवीं कक्षा में थी तब मुझे ड्राइविंग में दिलचस्पी हो गई थी. अगर आपके घर पर भी अगर आप के घर वाले कहते हैं कि जो करना है करो, तो आपके सपने को हरी झंडी मिल जाती है."