तिरुवनंतपुरम:केरल में पिछले हफ्ते एक गणतंत्र बचाओ रैली में एक नाबालिग लड़के को नफरत के नारे लगाते देखे जाने के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है. केरल हाई कोर्ट द्वारा राजनीतिक और धार्मिक रैलियों में बच्चों के इस्तेमाल पर चिंता व्यक्त करने के बाद मुकदमा दर्ज हुआ है. यह घटना पिछले हफ्ते तटीय अलाप्पुझा में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) द्वारा एक मार्च के दौरान हुई थी. 21 मई को अलाप्पुझा में पीएफआई द्वारा आयोजित "गणतंत्र बचाओ" रैली के दौरान एक व्यक्ति के कंधे पर बैठे एक बच्चे का वीडियो और कथित रूप से भड़काऊ नारे लगाने का एक छोटा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान केरल हाई कोर्ट के जस्टिस गोपीनाथ ने कहा, "क्या वे एक नई पीढ़ी को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं जो उनके मन में धार्मिक घृणा के साथ पली-बढ़ी है? जब यह बच्चा बड़ा होगा तब उसका दिमाग पहले से ही इस तरह की बयानबाजी का आदी होगा. इस पर कुछ किया जाना चाहिए." राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने केरल पुलिस पर प्राथमिकी दर्ज करने का दबाव बनाया था, जिसके बाद एक व्यक्ति को हिरासत में ले लिया गया है. व्यक्ति कोट्टायम के एराट्टुपेटा का रहने वाला है. आशंका है कि वह बच्चे को रैली में लेकर आया था.
विजयकुमार पीके द्वारा दायर एक शिकायत के आधार पर केरल पुलिस मुकदमा दर्ज किया है. एफआईआर में ने भारतीय दंड संहिता और केरल पुलिस अधिनियम की विभिन्न धाराओं को शामिल किया गया है. धारा 153-ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 295-ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का इरादा), 505 (1) (बी) (सार्वजनिक शांति के खिलाफ कार्य), आईपीसी के 505 (1) (सी), 505 (2), 506 (आपराधिक धमकी) और केपी अधिनियम के 120 (ओ) एफआईआर में शामिल हैं.