नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को केवल संविदा शिक्षकों के सहारे चलाने पर चिंता व्यक्त की है. शीर्ष अदालत मंगलवार को संविदा शिक्षकों की नियुक्ति पर राजस्थान उच्च न्यायालय के 2019 के फैसले से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी.
इस मामले में अधिवक्ता ऋषभ संचेती और अन्य वकील ने प्रतिवादी शिक्षकों का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने शीर्ष अदालत के समक्ष उच्च न्यायालय के फैसले का बचाव किया. उच्च न्यायालय ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में शिक्षकों को संविदा पर रखने और एक महीने का नोटिस देकर अनुबंध समाप्त करने के सेवा नियमों को रद्द कर दिया था.
उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह स्पष्ट रूप से मनमाना और अनुचित है और संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 21 को स्पष्ट रूप से नकारता है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह बहुत चिंता का विषय है कि कानूनी शिक्षा में अग्रणी संस्थान नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी केवल संविदा शिक्षकों के साथ काम करे. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ यह जानकर आश्चर्यचकित रह गई कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर का प्रबंधन केवल संविदा शिक्षण कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है. पीठ ने कहा कि यह अस्वीकार्य और अवांछनीय है.
पीठ ने 12 सितंबर को पारित आदेश में कहा कि हालांकि, हमें सूचित किया गया है कि वर्तमान में एक भी कुलपति नहीं है और नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है. इसके साथ ही रजिस्ट्रार भी संविदा पर ही हैं. पीठ ने कहा कि हमें यह बड़ी चिंता का विषय लगता है कि एक राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, जो कानूनी शिक्षा में अग्रणी संस्थान हैं, को केवल संविदा शिक्षकों के साथ काम चलाना पड़ रहा है.