हैदराबाद : वॉशिंग मशीन कितनी भी आधुनिक हो, कपड़े धोने के लिए पानी का खर्च होता ही है. वॉशिंग मशीन से निकला डिटर्जेंट युक्त पानी बेकार हो जाता है. वहां से यह अंत में तालाबों और नदियों में मिल जाता है. यह पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है. '80 वॉश' वॉशिंग मशीन ऐसी सभी समस्याओं का एक सही समाधान प्रदान करती है. यह मशीन सिर्फ एक कप पानी में पांच कपड़े धोती है. वो भी बिना डिटर्जेंट के सिर्फ 80 सेकेंड में. हां यदि गंदगी ज्यादा हुई तो थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है. 80 वॉश की शुरुआत रूबल गुप्ता, नितिन कुमार सलूजा और वरिंदर सिंह ने की थी. अपने इनोवेटिव आइडिया से डिजाइन की गई वॉशिंग मशीन एक तरफ पानी की बचत करती है और दूसरी तरफ डिटर्जेंट से होने वाले के रसायनों के प्रदूषण को रोकती है. कहा जाता है कि इससे दो समस्याएं एक साथ हल हो जाती हैं.
यह नई तरह की वॉशिंग मशीन भाप प्रौद्योगिकी पर आधारित है. यह कम रेडियो फ्रीक्वेंसी वाली माइक्रोवेव तकनीक की मदद से बैक्टीरिया को मारता है. कपड़े ही नहीं, धातु की वस्तुओं और पीपीई किट को भी साफ कर सकता है. कमरे के तापमान पर उत्पन्न सूखी भाप की मदद से यह कपड़ों पर लगी धूल, गंदगी और रंग के दाग को हटा देता है. 80 वॉश का कहना है कि 7-8 किलो क्षमता वाली मशीन एक बार में पांच कपड़े धो सकती है. जिद्दी दागों को फिर से धोने की जरूरत पड़ सकती है. लगभग चार से पांच बार धोने के बाद जिद्दी दाग भी गायब हो जाएंगे. वही 70-80 किलो क्षमता की बड़ी मशीन एक बार में 50 कपड़े धो सकती है. इसके लिए 5-6 गिलास पानी की आवश्यकता होती है. फिलहाल इस वॉशिंग मशीन को प्रायोगिक परीक्षण के लिए तीन शहरों में सात स्थानों पर लगाया गया है. छात्रावास के छात्रों को भी 200 रुपये प्रति माह चार्ज करके अपने कपड़े धोने की अनुमति है.