दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

INOVATION : एक मशीन जो बिना डिटर्जेंट और पानी के 80 सेकंड में धोती है कपड़े

वॉशिंग मशीन के आने के बाद कपड़े धोना आसान हो गया. लेकिन डिटर्जेंट पाउडर और पानी की खपत बढ़ गई. है ना! क्या डिटर्जेंट पाउडर बिना कपड़े धोना अच्छा नहीं होगा? चंडीगढ़ स्थित अंकुरसंस्था ने '80 वॉश' नाम से ऐसी वॉशिंग मशीन तैयार की है, जिसकी खासियत है कि यह बिना डिटर्जेंट का इस्तेमाल किए सिर्फ एक कप पानी से कपड़े धो देता है.

A machine that washes clothes in 80 seconds
एक मशीन जो 80 सेकंड में कपड़े धोती है

By

Published : Jul 29, 2022, 2:13 PM IST

हैदराबाद : वॉशिंग मशीन कितनी भी आधुनिक हो, कपड़े धोने के लिए पानी का खर्च होता ही है. वॉशिंग मशीन से निकला डिटर्जेंट युक्त पानी बेकार हो जाता है. वहां से यह अंत में तालाबों और नदियों में मिल जाता है. यह पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है. '80 वॉश' वॉशिंग मशीन ऐसी सभी समस्याओं का एक सही समाधान प्रदान करती है. यह मशीन सिर्फ एक कप पानी में पांच कपड़े धोती है. वो भी बिना डिटर्जेंट के सिर्फ 80 सेकेंड में. हां यदि गंदगी ज्यादा हुई तो थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है. 80 वॉश की शुरुआत रूबल गुप्ता, नितिन कुमार सलूजा और वरिंदर सिंह ने की थी. अपने इनोवेटिव आइडिया से डिजाइन की गई वॉशिंग मशीन एक तरफ पानी की बचत करती है और दूसरी तरफ डिटर्जेंट से होने वाले के रसायनों के प्रदूषण को रोकती है. कहा जाता है कि इससे दो समस्याएं एक साथ हल हो जाती हैं.

यह नई तरह की वॉशिंग मशीन भाप प्रौद्योगिकी पर आधारित है. यह कम रेडियो फ्रीक्वेंसी वाली माइक्रोवेव तकनीक की मदद से बैक्टीरिया को मारता है. कपड़े ही नहीं, धातु की वस्तुओं और पीपीई किट को भी साफ कर सकता है. कमरे के तापमान पर उत्पन्न सूखी भाप की मदद से यह कपड़ों पर लगी धूल, गंदगी और रंग के दाग को हटा देता है. 80 वॉश का कहना है कि 7-8 किलो क्षमता वाली मशीन एक बार में पांच कपड़े धो सकती है. जिद्दी दागों को फिर से धोने की जरूरत पड़ सकती है. लगभग चार से पांच बार धोने के बाद जिद्दी दाग भी ​​गायब हो जाएंगे. वही 70-80 किलो क्षमता की बड़ी मशीन एक बार में 50 कपड़े धो सकती है. इसके लिए 5-6 गिलास पानी की आवश्यकता होती है. फिलहाल इस वॉशिंग मशीन को प्रायोगिक परीक्षण के लिए तीन शहरों में सात स्थानों पर लगाया गया है. छात्रावास के छात्रों को भी 200 रुपये प्रति माह चार्ज करके अपने कपड़े धोने की अनुमति है.

पढ़ें: चेहरे के अनुसार डिजिटल रूप से मुद्रित मास्क बना रहे बिल्लू

कैसे तैयार हुई मशीन: एक अभिनव धुलाई मिशन का विचार पंजाब के चितकारा यूनिवर्सिटी इनक्यूबेशन सेंटर में रचा गया था. रूबल गुप्ता 2017 में बी.टेक कर रहे थे जब उन्हें यह ख्याल आया था. उन्होंने चितकारा यूनिवर्सिटी के रिसर्च एंड इनोवेशन नेटवर्क के एसोसिएट डायरेक्टर नितिन और वरिंदर से मुलाकात की, जो वहां ऑटोसिंक इनोवेशन में प्रोजेक्ट मैनेजर के रूप में काम करते हैं. नितिन और वरिंदर ने कई नई परियोजनाओं पर काम किया है. वह कई छात्रों के गुरु रहे हैं. प्रारंभ में, एक नसबंदी मशीन बनाने की योजना बनाई गई थी जो अस्पतालों के लिए पराबैंगनी किरणों की मदद से काम करती है. विशेषज्ञों के साथ चर्चा के बाद वॉशिंग मशीन बनाने का फैसला किया गया. हालांकि, यूवी किरणें कपड़े धोने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. यह बैक्टीरिया को तो मार सकता है लेकिन यह गंदगी से छुटकारा नहीं दिलाता है. इसलिए उन्होंने भाप तकनीक से कोशिश की और सफल रहे.

शुष्क भाप क्या है? :कम नमी वाली भाप को शुष्क भाप कहते हैं. यह दाग-धब्बों को प्रभावी ढंग से हटाता है. लेकिन इसे बनाने के लिए और अधिक दबाव की जरूरत है. इसके लिए अधिक बिजली की आवश्यकता होती है. यह एक कठिन कार्य है. लेकिन 80 वॉश की टीम ने कमरे के तापमान पर शुष्क भाप बनाने की तकनीक विकसित की. इसके लिए पेटेंट भी लिया गया है. इसमें गंदगी, दाग-धब्बे, दुर्गंध और कीटाणुओं को खत्म करने की क्षमता है. पायलट परीक्षणों के लिए 7-8 किलोग्राम भार क्षमता वाली एक वॉशिंग मशीन तैयार की गई थी. 80Wash की टीम अगले साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका पेटेंट कराने की कोशिश कर रही है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details