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कोलकाता पुलिस संग्रहालय में नजर आएगी सोने के हिरण की मूर्ति, अंग्रेजी शासन में हुई थी जब्त

जल्द ही कोलकाता पुलिस संग्रहालय में एक हिरण की मूर्ति प्रदर्शित की जाएगी लेकिन यह कोई साधारण हिरण की मूर्ति नहीं है. यह प्राचीन है और हिरण पर सोना मढ़वाया गया है. इसे 1940 में तत्कालीन कलकत्ता पुलिस (अब कोलकाता पुलिस) द्वारा जब्त कर लिया गया था, जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था.

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Published : Sep 4, 2021, 5:33 PM IST

कोलकाता : यहां के पुलिस संग्रहालय में सोने के एक हिरण की मूर्ति जल्द नजर आएगी. शहर की पुलिस ने चोरी के एक मामले की जांच करते हुए इस सामान को अंग्रेजी शासनकाल के दौरान जब्त किया था.

अब तक इसे मध्य कोलकाता के लालबाजार में कोलकाता पुलिस मुख्यालय में केंद्रीय मालखाना में संरक्षित किया गया था. इससे पहले वह उसी बिल्डिंग के दूसरे स्टोर में था. हालांकि अब तक यह प्राचीन वस्तु आम लोगों की पहुंच से बाहर थी. लेकिन अब आम लोग इस प्राचीन और बहुमूल्य मूर्ति की झलक देख सकेंगे.

इस मामले पर बोलते हुए कोलकाता पुलिस के संयुक्त आयुक्त (अपराध) मुरलीधर शर्मा ने कहा कि हाल ही में लालबाजार में केंद्रीय स्टोर को पूरी तरह से डिजिटल कर दिया गया है. जब वह काम किया गया तो हमने इस दुर्लभ प्राचीन सोने की परत वाली हिरण की मूर्ति देखी. बाद में इसे पॉलिश किया गया. दस्तावेजों से हमें पता चला कि तत्कालीन कलकत्ता पुलिस के चोरी अनुभाग ने चोरी की जांच करते समय इस वस्तु को जब्त कर लिया था. यह मामला वर्ष 1940 का था.

आम लोगों द्वारा इसका दीदार करने के लिए कोलकाता पुलिस संग्रहालय को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी गई है. शहर के पुलिस आयुक्त सौमेन मित्रा ने खुद संग्रहालय का दौरा किया और संग्रहालय के भीतर एक सुरक्षित जगह का चयन किया. शहर के पुलिस आयुक्त के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद मित्रा ने लालबाजार में केंद्रीय स्टोर को डिजिटाइज करने का निर्णय लिया गया.

उस समय कई अन्य पुरानी प्राचीन वस्तुओं के साथ इस सोने से मढ़वाया हिरण की खोज की गई थी. कोलकाता पुलिस संग्रहालय मध्य कोलकाता में 113 रिपन स्ट्रीट पर भी स्थित है, जो 200 वर्ग फुट क्षेत्र में फैला हुआ है, यह संग्रहालय शहर की पुलिस की समृद्ध विरासत और इतिहास को बताता है.

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शहर के पुलिस आयुक्त के रूप में कार्यभार संभालने के बाद मित्रा ने इस संग्रहालय को लोकप्रिय बनाने के लिए कई पहल की है. वे समझ गए हैं कि केवल टिकट बेचकर ही संग्रहालय के रख-रखाव का खर्च वहन करना असंभव है. इसलिए अब इमारत के भूतल में संग्रहालय है, जबकि पहली मंजिल पर एक कैफेटेरिया भी खोला गया है.

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