श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमख महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने को बरकरार रखने का उच्चतम न्यायालय का निर्णय 'मौत की सजा से कहीं से कम नहीं है.'
उन्होंने कहा कि यह भारत की अवधारणा को विफल करता है, जिसके साथ मुस्लिम बहुसंख्यक राज्य को 1947 में शामिल किया गया था. मुफ्ती ने 'एक्स' पर पोस्ट किए गए पांच मिनट के एक वीडियो संदेश में कहा, 'संसद में लिए गए एक असंवैधानिक और अवैध निर्णय को आज कानूनी घोषित किया गया. यह न केवल जम्मू कश्मीर के लिए मौत की सजा है, बल्कि भारत की अवधारणा को भी विफल करता है.'
उन्होंने कहा, 'उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अनुच्छेद 370 अस्थायी था, इसी कारण इसे हटाया गया. यह न केवल हमारी हार है, बल्कि भारत की अवधारणा की भी विफलता है. यह भारत की परिकल्पना, (महात्मा) गांधी के भारत की विफलता है, जिसके साथ जम्मू कश्मीर के मुसलमानों ने पाकिस्तान को खारिज कर हिंदू, बौद्ध, सिख और ईसाई धर्मावलम्बियों वाले (महात्मा) गांधी के देश के साथ हाथ मिलाया था. आज भारत की अवधारणा विफल हो गई.'
पूर्व मुख्यमंत्री ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोगों से आग्रह किया कि वे शीर्ष न्यायालय के फैसले से निराश न हों. उन्होंने कहा, 'निराश न हों, उम्मीद न छोड़ें. जम्मू कश्मीर ने काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं. न्यायालय का फैसला महज एक पड़ाव है, यह हमारा गंतव्य नहीं है. इसे अंत मानने की गलती न करें. हमारे विरोधी चाहते हैं कि हम उम्मीद खो दें और हार स्वीकार कर लें. लेकिन ऐसा नहीं होगा.'
पीडीपी प्रमुख ने कहा कि जम्मू कश्मीर में संघर्ष एक राजनीतिक लड़ाई है, जो दशकों से जारी है. उन्होंने कहा, 'कोई फैसला अंतिम नहीं है, उच्चतम न्यायालय का फैसला भी नहीं. यह एक राजनीतिक लड़ाई है जो कई दशकों से जारी है. हमारे लोगों ने बलिदान दिया है और हम बीच में लड़ाई नहीं छोड़ेंगे.'