हैदराबाद : राजेंद्र एस निखल्जे यानी छोटा राजन मुंबई अंडरवर्ल्ड की दुनिया में दाऊद इब्राहिम का वह सिक्का, जो कभी खोटा साबित नहीं हुआ. शुक्रवार को ऐसी खबरें आईं कि कोरोना संक्रमण के कारण छोटा राजन की मौत हो गई, हालांकि बाद में वह खबर अफवाह साबित हुई. छोटा राजन दिल्ली की तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. फिलहाल एम्स में भर्ती है. छोटा राजन की जिंदगी ने वैसे तो कई करवटें लीं. वैसे अपराध की दुनिया में आने से पहले छोटा राजन सिनेमाघरों के बाहर ब्लैक में टिकटें बेचता था.
छोटा राजन ब्लैक में सिनेमा की बेचता था टिकट, फिर हुई अंडरवर्ल्ड डॉन के रुप में एंट्री
- छोटा राजन 1982 में गैंगस्टर राजन महादेव नायर उर्फ बड़ा राजन के लिए काम किया करता था. बड़ा राजन को गोली लगने के बाद मौत हो गई जिसके बाद छोटा राजन ने गिरोह को संभाला. छोटा राजन ने हाजी मस्तान, करीम लाला और वर्धा भाई से अपराध सिखा और अपराध की दुनिया में शामिल होने के लिए प्रेरित हुआ.
- 1984 में छोटा राजन ने दाऊद इब्राहिम के लिए काम करना शुरू किया, उस समय वह एक सोने का तस्कर था.
- 1984 से 1993 तक, राजन-दाऊद को अंडरवर्ल्ड की दुनिया का खतरनाक जोड़ी बताया जाता था.
- 1993 के मुंबई सीरियल धमाकों के बाद दोनों अलग हो गए, और एक स्वतंत्र गिरोह का गठन किया जो अक्सर दाऊद की डी-कंपनी से भिड़ जाता था.
- 1998 में, छोटा राजन और उसके गिरोह के सदस्यों ने मिर्जा दिलशाद बेग की हत्या कर दी, जो एक नेपाली सांसद था, जिसके दाऊद इब्राहिम के साथ कथित संबंध थे.
- नवंबर 2015 में छोटा राजन को इंडोनेशिया के बाली से निर्वासित किया गया था और उसे पत्रकार जे डे हत्याकांड का आरोपी बनाया गया था.वह इस समय दिल्ली की तिहाड़ जेल में है. छोटा राजन की शादी सुजाता निकल्जे से हुई . छोटा राजन की तीन बेटियां हैं.
टिकट की काला बाजारी से दाऊद के साथ अंडरवर्ल्ड तक का सफर
- राजन के आपराधिक करियर की शुरुआत मुंबई के चेंबूर इलाके में फिल्म टिकटों की कालाबाजारी के रूप में हुई थी. बाद में, वह एक स्थानीय अपराधी, जगदीश शर्मा के गिरोह में शामिल हो गया.
- राजन जल्द ही नायर का पसंदीदा बन गया और मुंबई के पूर्वी उपनगरों में व्यवसायियों से सुरक्षा धन एकत्र करने का प्रभारी था.
- 30 सितंबर 1983 को नायर को उनके प्रतिद्वंद्वी अब्दुल कुंजु के हिटमैन ने गोली मार दी थी.
- नायर की मौत ने राजन को गहराई से प्रभावित किया और हालांकि उसने गिरोह को संभाल लिया, लेकिन उसका एकमात्र उद्देश्य कुन्जू को खत्म करना था. राजन ने कुंजु पर कई बार हमला किया, जिसमें वह उस समय भी शामिल था जब उसने पुलिस को आत्मसमर्पण करने के बाद अदालत से जेल ले जाया जा रहा था. कुंजु के हमले से बचने के बाद, राजन ने उसे जेजे अस्पताल में फिर से मारने की कोशिश की, लेकिन फिर से असफल रहा.
- राजन की कुन्जू को मारने की अथक कोशिशों ने दाऊद का ध्यान खींचा और उसने उसे अपनी डी-कंपनी का हिस्सा बना लिया. डी-कंपनी में शामिल होने के बाद, राजन घाटकोपर में एक क्रिकेट मैच के बीच में कुंजु को मारने में कामयाब रहा.
छोटा राजन और दाऊद: मुंबई अंडरवर्ल्ड की सबसे खून की लड़ाई
1993 मुंबई बम धमाके में सबसे काला चेहरा दाऊद और छोटा राजन का ही था.
राजन 1993 के सीरियल धमाकों से दाऊद से अलग होने के बहाने अपने गिरोह को बनाने के लिए इस्तेमाल किया, जिसका मुख्य कारण था कि गिरोह में उसकी प्रासंगिकता छोटा शकील के कारण कम हो गई थी.